
चैती छठ पूजा 2024 (फाइल फोटो)
सीमा कुमारी
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: आस्था का चार दिवसीय महापर्व ‘चैती छठ’ (Chaiti Chhath Puja 2024) इस बार 12 अप्रैल,अगले शुक्रवार से शुरू हो रही है। और इसका समापन 15 अप्रैल को होगा। आपको बता दे, सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ संतान सुख और संतान के दीर्घायु और घर-परिवार में सुख-समृद्धि व खुशहाली के लिए किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, छठी मईया भगवान सूर्य की बहन है। इसलिए इस दिन छठी मईया व भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। छठ पूजा की धूम बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में अधिक रहती है।
साल में दो बार मनाया जाता है पर्व
प्राप्त जानकारी के अनुसार, छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक कार्तिक के शुक्ल पक्ष में और दूसरा चैत माह के शुक्ल पक्ष में। छठ पूजा का महापर्व चार दिनों का होता है। इस पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और सूर्योदय के अर्घ्य देकर पारण करने के बाद समाप्त होती है। चैत्र शुक्ल चतुर्थी 12 अप्रैल यानी शुक्रवार को रोहिणी नक्षत्र व आयुष्मान योग में नहाय-खाय के साथ चैती छठ का महापर्व शुरू होगा। व्रती गंगा स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी आदि।
जानें कैसे होती है पूजा
बता दें कि छठ पर छठी मैया की पूजा की जाती है और भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा का पर्व बड़े ही श्रद्धा और विश्वास के साथ रखा जाता है। इस पर्व पर शुद्धता का विशेष ध्यान दिया जाता है। तो आइए आज जानेंगे कि चैत्र माह में छठ पूजा का पर्व कब है। साथ ही नहाय-खाय किस तिथि को है।
शुभ तिथि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, छठ पूजा का पर्व चार दिनों का होता है। जिसमें नहाय खास से शुरू होता है और सूर्योदय के अर्घ्य देकर पारण किया जाता है। साल 2024 में चैत्री छठ पर्व 12 अप्रैल से शुरू होगी और समाप्ति 15 अप्रैल को पारण के साथ होगी।
12 अप्रैल 2024 दिन शुक्रवार को नहाय खाय है
13 अप्रैल 2024 दिन शनिवार को खरना
14 अप्रैल 2024 दिन रविवार को संध्या अर्घ्य
15 अप्रैल 2024 दिन सोमवार को उगते हुए सूर्य और पारण किया जाएगा
चैती छठ का क्या है विशेष महत्व
चैती छठ की खास बात यह है कि यह नवरात्रि के छठे दिन मनाया जाता है। इस दिन देवी के छठे रूप कात्यायनी की पूजा की जाती है। जबकि नहाय खाय के दिन देवी के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। खरना के दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इसलिए चैत्र नवरात्रि (Chaiti Chhath Puja 2024) के दौरान चैती छठ का व्रत रखने वाले भक्तों को देवी दुर्गा के साथ-साथ छठ मैया का भी आशीर्वाद मिलता है।
छठ पर्व (Chaiti Chhath Puja 2024) के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन सुबह स्वच्छ होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद पूरे दिन उपवास रखा जाता है और शाम को परिवार के बाकी सदस्यों के साथ गुड़ से बनी चावल की खीर का सेवन किया जाता है।
चैती छठ के अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का क्या है महत्व
छठ पर्व के तीसरे दिन का बहुत महत्व है। इस दिन शाम के समय लोग बांस की टोकरी में सारी पूजन सामग्री लेकर घाट पर जाते हैं। घाट पर पहुंचकर व्रती महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती हैं। अर्घ्य के समय सूर्य देव को जल और दूध अर्पित किया जाता है और प्रसाद से भरे सूप से छठी मैया की पूजा की जाती है।
उगते सूर्य अर्घ्य का क्या है महत्व
छठ महापर्व के आखिरी दिन सप्तमी की सुबह सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। इसके साथ ही छठ पूजा व्रत समाप्त हो जाता है।
छठ पूजा के दिन अर्घ्य देने की विधि
बांस के सूप में केला और अन्य फल, प्रसाद, ईख आदि रखें और उसे पीले कपड़े से ढक दें। इसके बाद दीपक जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर डूबते समय सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का जाप करें।






