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सीमा कुमारी
नई दिल्ली: 10 दिवसीय महोत्सव यानी ‘गणेश चतुर्थी’ (Ganesh Chaturthi) का महापर्व इस बार 19 सितंबर 2023 से शुरू हो रहा है। गणेश उत्सव पूरे 10 दिनों तक चलते हुए 28 सितंबर को समाप्त होगा। ‘गणेश चतुर्थी’ (Ganesh Chaturthi) का महापर्व भारत ही नहीं विदेशों में भी बसे हुए भारतीय धूमधाम से मनाते हैं। यूं तो गणेश जी की पूजा हर माह में दो बार पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को पूरे विधि-विधान से की जाती है। लेकिन, इसका महत्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को बहुत ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि, मान्यता है कि इसी दिन गौरी पुत्र गणेश का जन्म हुआ था।
यही कारण है कि, बप्पा के भक्तों को इस पावन दिन का पूरे साल इंतजार रहता है। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार, ‘गणेश चतुर्थी’ पर गणपति जी की मूर्ति घर में स्थापित करने से सुख-शांति आती है। लेकिन क्या आप जानते है कि गणेश जी की मूर्ति लेने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी होता है ऐसे में आइए जानें गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना करते समय दिशा का सबसे अधिक ध्यान रखें। इसलिए गणेश जी की मूर्ति उत्तर दिशा में रखें। क्योंकि इस दिशा में मां लक्ष्मी के साथ शिवजी भी वास करते हैं। इसके साथ ही उनका मुख घर के मुख्य द्वार की ओर होना चाहिए।
ज्योतिषियों के अनुसार, गणपति की मूर्ति में उनकी सूंड के भी बड़े मायने हैं। सूंड के कारण ही उन्हें वक्रतुंड कहा जाता हैं। पारिवारिक खुशहाली और शुभता लाने के लिए बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणपति ही लेकर आएं। इस मूर्ति को वाममुखी कहा जाता है। दाहिनी ओर मुड़ी सूंड दक्षिणमुखी कहलाती है, जो काफी शक्तिशाली मानी जाती है । इस मूर्ति की पूजा के नियम काफी कठिन होते हैं। इसलिए वाममुखी मूर्ति लाना ही श्रेयस्कर है।
कहते हैं, गणपति की प्रतिमा खरीदते समय उनकी मुद्रा पर भी ध्यान जरूर दें। बैठी हुई मूर्ति को घर लाना सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा, वर्कप्लेस पर आप गणपति की खड़ी मूर्ति भी ला सकते हैं। लेकिन गणपति के दोनों पैर जमीन को छूते हुए होने चाहिए।
ज्योतिष-शास्त्र की मानें तो, गणपति का वाहन मूषक है और उन्हें अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए जो भी मूर्ति खरीदें, उसमें उनके साथ उनका मूषक जरूर होना चाहिए। बगैर मूषक के गणपति की मूर्ति अधूरी मानी जाती है।