बचपन से दिल बनाएं बेहतर (सौ. डिजाइन फोटो)
Kids Health: बचपन से ही अगर बच्चों की सेहत के लिए अच्छी आदतें अपनाई जाए तो जीवन बेहतर होता है। बच्चों के संपूर्ण विकास की नींव बचपन से ही होती है जिसे ही अगर अच्छे से सींचा जाए तो वे जीवन भर सेहतमंद रहते है। हाल ही में एक स्टडी में बताया गया है कि, बच्चे के जन्म से लेकर टीनएज तक स्वस्थ हृदय रहने से बच्चे लंबे समय तक दिल से जुड़ी बीमारियों से बचे रहते है। इसके साथ ही मानसिक और शारीरिक किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है। बच्चों को हेल्दी आदतें सिखाने के लिए स्टडी में बताया गया है।
यहां पर अमेरिका हार्ट एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित स्टडी को लेकर रिसर्चर ने बताया कि, किशोरावस्था तक अगर बच्चे आहार, शारीरिक गतिविधि, नींद और वजन का ध्यान रखने समेत धूम्रपान और कार्बोनेटेड पेय जैसी चीजों से दूरी बनाते है तो दिल को स्वस्थ नहीं बनाया जा सकता है। अगर बच्चे हेल्दी रूटीन और आदतें अपनाते हैं तो उनका दिल बेहतर होता है। इसे लेकर स्टडी के अंतर्गत वरिष्ठ लेखिका अमांडा मार्मा पेराक ने कहा, “बचपन एक अनोखी अवधि है, जिसमें हृदय को स्वस्थ रखने वाली आदतें अपनाने से न केवल हृदय को, बल्कि शरीर की सभी प्रणालियों को दीर्घकालिक लाभ होगा।” उन्होंने आगे कहा कि कम उम्र में तो माता-पिता उन्हें स्वस्थ आहार दें, उनकी शारीरिक गतिविधि और नींद का ध्यान रखें और उनकी उम्र बढ़ने पर उन्हें धूम्रपान और शराब जैसी चीजों से दूर रखने की कोशिश करें।
यहां पर स्टडी की जानकारी देते चलें , रिसर्चर ने बच्चों के हृदय को स्वस्थ बनाने के लिए बचपन की आदतों को लेकर स्टडी की थी। बताया जाता है कि, जनवरी 2010 और जनवरी 2021 के बीच प्रकाशित लगभग 500 अध्ययनों की समीक्षा की, जिससे पता चला है कि बेहतर हृदय स्वास्थ्य आदतें उच्च आनुवंशिक जोखिम को कम कर सकती हैं। वहीं एक अन्य स्टडी में बताया गया कि, जिन माताओं का गर्भावस्था के दौरान हृदय स्वास्थ्य बेहतर था, उनके बच्चों में हृदय स्वास्थ्य खराब होने की संभावना लगभग 8 गुना तक कम थी।
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यहां पर बच्चों के दिल पर स्टडी करने के बाद रिसर्चर्स ने अपनी सलाह भी लोगों को दी है। आप बच्चों के दिल को स्वस्थ बनाने के लिए अच्छी आदतों को अपनाने के साथ उनका मेडिकल चेकअप कराते रहे। बताया जा रहा है कि, हर 3 से 6 महीने में अपने डॉक्टर से मिलते रहें और बच्चों के ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर का स्तर आदि की जांच जरूर करवाएं ताकि किसी भी समस्या का समय रहते पता चल सके। इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल स्तर की भी जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह मानें।