वंदे भारत (फाइल फोटो)
Nagpur-Mumbai Vande Bharat: विदर्भ की राजधानी नागपुर से मुंबई के बीच रेल यात्रियों की बढ़ती भीड़ अब इस बात की साफ गवाही दे रही है कि इस रूट पर भी पुणे की तर्ज पर वंदे भारत एक्सप्रेस की तत्काल आवश्यकता है। जिस प्रकार पुणे से मुंबई के बीच वंदे भारत ट्रेन को शानदार प्रतिसाद मिला है उसी तरह नागपुर और मुंबई के बीच भी यह हाई-स्पीड सेवा शुरू की जानी चाहिए। वर्तमान में नागपुर से चलने वाली सभी प्रमुख ट्रेनों में यात्रियों की भारी भीड़ और लगातार वेटिंग लिस्ट इस बात का संकेत है कि अब यात्रियों को तेज, आरामदायक और समयबद्ध ट्रेन सेवा की दरकार है।
रेलवे बोर्ड ने पिछले कुछ वर्षों में वंदे भारत ट्रेनों का नेटवर्क देशभर में तेजी से बढ़ाया है। नागपुर से पहले ही नागपुर-बिलासपुर और नागपुर-इंदौर वंदे भारत एक्सप्रेस चलाई जा चुकी हैं जिनका यात्रियों से शानदार प्रतिसाद मिल रहा है। इसके अलावा नागपुर से सिकंदराबाद के लिए भी वंदे भारत दौड़ रही है लेकिन मुंबई के लिए ऐसी कोई ट्रेन न होने से यात्रियों को निराशा झेलनी पड़ती है।
नागपुर से मुंबई की दूरी लगभग 830 किलोमीटर है जिसे वंदे भारत ट्रेन लगभग 6.5 से 7 घंटे में तय कर सकती है। मौजूदा ट्रेनों को यह दूरी तय करने में औसतन 11 से 13 घंटे लगते हैं। यात्रियों के अनुसार वंदे भारत जैसी ट्रेन से न केवल समय की बचत होगी बल्कि व्यापारियों, छात्रों और नियमित आने-जाने वालों को भी राहत मिलेगी।
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नागपुर से बड़ी संख्या में यात्री रोजाना मुंबई में कामकाज, चिकित्सा उपचार या व्यापारिक गतिविधियों के लिए यात्रा करते हैं। इसके अलावा नागपुर एयरपोर्ट पर बढ़ते हवाई किरायों के चलते ट्रेन ही अब भी सबसे सुलभ माध्यम बनी हुई है।
जानकारों की मानें तो रेलवे बोर्ड को इस रूट पर वंदे भारत शुरू करने से पहले यात्रियों की संख्या, मौजूदा ट्रेनों की सीटों की उपलब्धता और वेटिंग सूची का आंकलन करना चाहिए। वर्तमान आंकड़े यह दिखाते हैं कि नागपुर और मुंबई के बीच औसतन 85 प्रतिशत से अधिक बुकिंग दर रहती है जबकि कुछ ट्रेनों में यह आंकड़ा 100 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। इससे स्पष्ट है कि अतिरिक्त ट्रेन की मांग वास्तविक और स्थायी है।
यदि नागपुर-मुंबई वंदे भारत एक्सप्रेस शुरू की जाती है तो यह विदर्भ के यात्रियों के लिए एक बड़ी सौगात होगी। तेज, स्वच्छ, आरामदायक और समयनिष्ठ सेवा के साथ यह ट्रेन दोनों शहरों के बीच यात्रा अनुभव को नए स्तर पर ले जाएगी। रेलवे बोर्ड यदि इस दिशा में शीघ्र निर्णय लेता है तो यह न केवल यात्रियों के लिए राहत भरा कदम होगा बल्कि मध्य भारत के लिए विकास का भी नया अध्याय खोलेगा।