झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का निधन, फोटो-सोशल मीडिया
Ramdas Soren Passed Away: रामदास सोरेन बीते 15 दिनों से गंभीर रूप से बीमार थे और जीवन रक्षक प्रणाली (लाइफ सपोर्ट सिस्टम) पर रखे गए थे। सोरेन 2 अगस्त को जमशेदपुर स्थित अपने आवास पर बाथरूम में गिरकर घायल हो गए थे। उनकी स्थिति बिगड़ने पर उन्हें एयरलिफ्ट कर दिल्ली लाया गया, जहां वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी सेहत पर नजर रख रही थी। लेकिन लंबी जद्दोजहद के बाद शुक्रवार को उनका निधन हो गया।
झारखंड ने बीते दस दिनों में अपने दो बड़े नेताओं को खो दिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता दशोम गुरू कहे जाने वाले शिबू सोरेन के निधन के बाद अब शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का जाना राज्य की राजनीति के लिए एक और बड़ा आघात है। इस घटना ने पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ा दी है।
रामदास सोरेन का जन्म 1 जनवरी 1963 को पूर्वी सिंहभूम जिले के घोड़ाबांदा गांव में एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ। ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले सोरेन ने अपने करियर की शुरुआत गांव की पंचायत राजनीति से की। वे सबसे पहले घोड़ाबांदा पंचायत के ग्राम प्रधान बने। धीरे-धीरे वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के साथ जुड़ते गए और संगठन के जमीनी कार्यकर्ता से उभरकर राज्य की राजनीति के अहम चेहरे बन गए।
राजनीतिक पारी की शुरुआत उन्होंने 2009 में की, जब घाटशिला विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। हालांकि 2014 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी उम्मीदवार लक्ष्मण टुडू ने उन्हें हराया। लेकिन 2019में उन्होंने जोरदार वापसी की और घाटशिला सीट दोबारा जीत ली। उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती रही और 2024 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की। इस बार उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन (पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे) को हराकर तीसरी बार विधानसभा की सदस्यता प्राप्त की।
रामदास सोरेन के निधन पर बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि 12 दिनों में झारखंड के दो बड़े नेताओं का निधन हो गया है। रामदास को ‘झारखंड आंदोलन’ के स्तंभ के रूप में जाना जाता था। रामदास सोरेन बहुत बड़े नेता थे।
#WATCH | Ranchi, Jharkhand | On the demise of Jharkhand Minister Ramdas Soren, BJP spokesperson Pratul ShahDeo says, "…In 12 days, two big leaders of Jharkhand passed away. Ramdas Soren played a major role in the Kolhan area of Jharkhand and he was known as the pillar of… pic.twitter.com/Q6JQAw6449
— ANI (@ANI) August 15, 2025
30 अगस्त 2024 को चंपाई सोरेन के इस्तीफे के बाद, रामदास सोरेन को हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में जगह मिली और उन्हें स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। शिक्षा सुधारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और ग्रामीण इलाकों में शैक्षणिक सुविधाओं को बढ़ाने के प्रयासों को लेकर उनकी काफी सराहना होती रही।
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झामुमो के राष्ट्रीय प्रवक्ता कुणाल सारंगी ने कहा कि रामदास सोरेन का निधन राज्य के लिए अपूरणीय क्षति है। वे न केवल एक समर्पित जनप्रतिनिधि थे, बल्कि संगठन के मजबूत स्तंभ भी थे। 62 वर्ष की उम्र में रामदास सोरेन का यूं अचानक जाना झारखंड की राजनीति में एक बड़ा शून्य छोड़ गया है, जिसे भरना आसान नहीं होगा।