
केंद्र सरकार पर महबूबा का जोरदार हमला (फोटो- सोशल मीडिया)
Mehbooba Mufti Statement: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार की नीतियों पर अब तक का सबसे तीखा हमला बोला है। रविवार को श्रीनगर में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पीडीपी प्रमुख का दर्द छलक उठा। उन्होंने कहा कि आज कश्मीर मुद्दे का नाम लेना भी गुनाह मान लिया गया है। महबूबा ने बेहद भावुक होकर कहा कि हम गांधी के देश से इसलिए जुड़े थे ताकि सम्मान से जी सकें। हम यह नहीं कहते कि हमें पाकिस्तान को दे दो, हम बस अपनी और अपने पढ़े-लिखे युवाओं के लिए इज्जत मांग रहे हैं।
महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में हुए दिल्ली ब्लास्ट का जिक्र करते हुए कहा कि जब एक पढ़ा-लिखा डॉक्टर अपने शरीर पर बम बांधकर खुद को उड़ा लेता है, तो यह हम सबके लिए खतरे की घंटी है। एक मां होने के नाते उन्हें इस घटना से गहरा धक्का लगा है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर हमारे नौजवान जिंदगी की जगह मौत को क्यों गले लगा रहे हैं। पिछले 20 दिनों में यह दूसरी बार है जब महबूबा ने कश्मीर के हालात को दिल्ली की सुरक्षा से जोड़ते हुए सरकार को घेरा है। उनका कहना है कि सरकार दावा करती है कि सब ठीक है, लेकिन कश्मीर की परेशानी अब लाल किले तक गूंज रही है।
महबूबा मुफ्ती ने 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार ब्लास्ट का हवाला दिया, जिसमें पुलवामा के डॉ. उमर ने खुद को उड़ा लिया था और 13 लोगों की जान गई थी। महबूबा ने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि वे जम्मू-कश्मीर को सुरक्षित बनाएंगे, लेकिन उनकी नीतियों ने दिल्ली को ही खतरे में डाल दिया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हिंदू-मुस्लिम की राजनीति से वोट तो मिल सकते हैं, लेकिन देश किस दिशा में जा रहा है, यह सोचना होगा। दिल्ली के लोग शायद सोचते हैं कि विभाजन से फायदा होगा, लेकिन देश कुर्सी से कहीं बड़ा है। अगर आरडीएक्स का इस्तेमाल हो रहा है, तो सुरक्षा के दावे खोखले हैं।
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सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए पीडीपी अध्यक्ष ने राष्ट्रगान के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा ने ऐसे हालात बना दिए हैं जहां लोगों को मजबूर किया जा रहा है। महबूबा ने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए कहा कि वे खुद अपनी मर्जी से राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ी होती थीं, लेकिन अब डराकर ऐसा करवाया जा रहा है। उन्होंने 30 सितंबर की घटना का जिक्र किया जब श्रीनगर के टीआरसी फुटबॉल मैदान में राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने पर 15 युवकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। महबूबा के मुताबिक, यह जबरदस्ती की देशभक्ति सरकार की विफलता का सबूत है।






