डोडा से आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (फोटो- सोशल मीडिया)
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की सियासत में हलचल मची हुई है, डोडा से आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक ने गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला पूरी तरह जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। सोशल मीडिया पर जारी बयान में उन्होंने लिखा कि अब जवाबदेही और कार्रवाई का समय आ गया है। इस फैसले को आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति में बदलाव की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, जिससे भविष्य की दिशा तय हो सकती है। डोडा से AAP विधायक मेहराज मलिक ने जम्मू-कश्मीर की गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस लेते हुए उन्होंने खुद सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक की।
मेहराज मलिक ने सोशल मीडिया पर उन्होंने कहा था कि अब बहुत हो गया, सरकार को नौ महीने हो चुके हैं और अब बड़ा फैसला लिया जाएगा। यह वक्त जवाबदेही और ठोस कार्रवाई का है। माना जा रहा है कि उनकी नाराजगी सरकार के कामकाज और नीतियों से है, जिसे लेकर वह लंबे समय से असहज महसूस कर रहे थे। उनके इस कदम को जम्मू-कश्मीर की मौजूदा राजनीतिक स्थिरता के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। खासतौर पर तब, जब गठबंधन की मजबूती पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला आगामी राजनीतिक समीकरणों को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
I, Mehraj Malik, MLA from Doda, hereby withdraw my support to NC in the government coalition. This decision has been taken in the best interest of my people of Jammu and Kashmir whose trust and welfare will always be my top priority.
— Mehraj Malik (@MehrajMalikAAP) June 14, 2025
क्या फैसले से राजनीति प्रभावित होगी
मेहराज मलिक के इस फैसले से जहां विपक्ष को नए सियासी संकेत मिल सकते हैं, वहीं सत्ता पक्ष के लिए यह एक चेतावनी भी है कि असंतोष गहराता जा रहा है। उन्होंने भले ही विस्तार से कुछ न कहा हो, लेकिन उनके शब्दों ने साफ कर दिया है कि वह जनता की अपेक्षाओं पर सरकार को खरा उतरता नहीं देख रहे। यह कदम न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बड़ा फैसला है, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर सकता है।
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समर्थन वापसी का कारण सोशल मीडिया पर संकेत
विधायक ने कहा कि उन्होंने यह फैसला राज्य के लोगों के हित में लिया है। उनका मानना है कि मौजूदा गठबंधन सरकार जनअपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर रही थी, इसलिए समर्थन जारी रखना उचित नहीं था। समर्थन वापसी से पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा था कि अब बहुत हो गया, अब वक्त है जवाबदेही का।