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बेंगलुरु: 24 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट बजते ही बेंगलुरु में रहने वाले लोगों की परछाई उनका साथ छोड़ देगी। ऐसा ‘जीरो शैडो डे’ की वजह से होगा। जिसमें लोगों के साथ हमेशा रहने वाली परछाई कुछ मिनट के लिए गायब हो जाएगी। इस दौरान सूरज ठीक सिर के ऊपर होगा, जिससे खड़े हुए आदमी या किसी भी चीज की परछाई जमीन पर नहीं पड़ेगी।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) के साइंटिस्ट के अनुसार जब सूरज अपनी उच्चतम स्थिति यानी जेनिथ पर पहुंचता है, तब यह घटना होती है। जब सूरज इस स्थिति में होता है तब जीरो शैडो डे यानी ‘शून्य छाया दिवस’ मनाया जाता है। इस दौरान किसी भी सीधी खड़ी वस्तु की छाया ठीक नीचे गिरती है और दिखाई नहीं देती है।
भारत में ये घटना उन सभी स्थानों में होती है जो कर्क रेखा (Tropic of Cancer) के दक्षिण में आते हैं, जैसे बेंगलुरु, चेन्नई और मैंगलुरु शहरों में साल में दो बार जीरो शैडो डे होता। बेंगलुरु में यह घटना आमतौर पर 24–25 अप्रैल और फिर 18 अगस्त के आसपास होती है। जिसे बेंगलुरु लोग बड़े धूमधाम से मनाते है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के मुताबिक, जीरो शैडो डे की ये अदभूत खगोलीय घटना तब और खास बन जाता है, जब यह कर्क रेखा पर पहुंचती है। जो इस साल 21 जून को होगा, तो अगर आप इस खगोलीय घटना को अपनी आंखों से देखना चाहते हैं तो आपको 24 अप्रैल के दिन बेंगलुरु या कर्क रेखा के दक्षिण में बसे किसी शहर जा सकते हैं।
जीरो शैडो डे सिर्फ कुछ मिनट के लिए होता है। लेकिन अलग-अलग स्थान पर इसका समय अलग होता है। जैसे चेन्नई और त्रिवेंद्रम में इसका समय बेंगलुरु की तुलना में ज्यादा है। क्योंकि ये शहर कर्क रेखा के साथ भूमध्य रेखा (Equator)के आसपास के क्षेत्र का भी हिस्सा है। जहां सूरज एकदम सिर के ऊपर ज्यादा देर तक रहता है और यहां सूरज की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण जीरो शैडो का प्रभाव थोड़ा अधिक देर तक हो सकता है।
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भारत में जीरो शैडो डे की इस घटना को बेंगलुरु, चेन्नई, मंगलुरु, कन्याकुमारी, भोपाल, हैदराबाद और मुंबई के कुछ स्थानों पर देखा जा सकता है। भारत केअवाला ये खगोलिय घटना मिस्र, मेक्सिको और ऑस्ट्रेलिया के कुछ शहरों में नजर आता है।