नवभारत डिजिटल टीम: केंद्र की मोदी सरकार (Center Government) अपने दूसरे कार्यकाल का अंतरिम बजट (Interim Budget) 1 फरवरी को संसद में पेश करेगी। इस बार ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है कि टैक्स छूट, इंफ्रास्ट्रक्चर और डिफेंस के लिए कुछ बड़े घोषणाएं हो सकती है। आपको बता दें कि पहले बजट फरवरी महीने के अंतिम तारीख यानी 28 फरवरी को पेश किया जाता था। लेकिन केंद्र में सत्ताधीश बनी मोदी सरकार ने इस सालों पुरानी परंपरा तो और इसे बदलकर 1 फरवरी कर दिया गया है। तो आइए जानते है 1 फरवरी को ही क्यों पेश किया जाता है बजट…
उल्लेखनीय है कि महीने के अंत में बजट पेश करने की यह सालों पुरानी परंपरा को साल 2017 में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने तोडा था। उन्होंने ऐलान किया था कि केंद्रीय बजट अब फरवरी के अंतिम कार्य दिवस पर पेश नहीं किया जाएगा। जिसके बाद से इसे बदलकर पहली तारीख को कर दिया गया।
जानकारी के लिए बता दें कि बजट एक ऐसा सरकारी दस्तावेज है, जिसके तहत सरकार आगामी वित्तीय वर्ष के दौरान अनुमानित व्यय और राजस्व पेश करती है। इसके बाद इसे संसद की ओर से मंजूरी मिलती है। पहली बार इसे 1860 के दशक में ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों द्वारा पेश किया गया था।
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि बजट फरवरी के अंत में पेश किया जाता था लेकिन इसे बदलकर 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा था कि अगर बजट महीने के अंत में पेश किया जाता है तो सरकार के पास एक अप्रैल से प्रभावी नई नीतियों की तैयारी के लिए बहुत कम समय बचता था, जिस कारण इसे बदलकर 1 फरवरी कर दी गई। उनके इस फैसले के साथ ही ब्रिटिश शासन के तहत औपनिवेशिक युग के दौरान अपनाई जाने वाली 92 साल पुरानी प्रथा भी समाप्त हो गई।
आपको यह भी पता हो कि साल 1999 तक केंद्रीय बजट फरवरी के अंतिम दिन शाम 5 बजे पेश किया जाता था और यह समय ब्रिटेन के समय से तय हुआ था। चूंकि ब्रिटेन में सुबह 11 बजे बजट पेश किया जाता था। तब भारत के समयानुसार शाम के पांच बज जाते थे। लेकिन इसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बदल दिया और इसे हटाकर सुबह 11 बजे कर दिया। उन्होंने यह तर्क दिया था कि सबह बजट पेश करने से इस पर गहन चर्चा के लिए पर्याप्त समय मिलता है।
जिस साल लोकसभा चुनाव होने होते हैं, केंद्र सरकार पूरे वित्त वर्ष की बजाय कुछ महीनों तक के लिए ही बजट पेश करती है, उसे अंतरिम बजट कहा जाता है। चुनाव खत्म होने के बाद नई गठित सरकार पूर्ण बजट (Full Budget) पेश करती है। हालांकि, अंतरिम बजट ही पेश करने की बाध्यता नहीं होती है।
अगर आम बजट की बात की जाए तो सरकार हर साल देश के आय और व्ययों के खर्चे की जानकारी देती है। अगर सरल भाषा में कहे तो जिस तरह से हर किसी के घर में कमाई और खर्चों का हिसाब-किताब किया होता है, वैसे ही सरकार भी देश में होने वाले खर्चे और इनकम का हिसाब-किताब लगाती है और उसे पेश करती है। आम बजट को पूरे साल भर के लिए पेश किया जाता है।