कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन फोटो)
Kerala Local Body Elections: अगर हम आपसे कहें कि भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और लेफ्ट किसी राज्य में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं, तो आप यकीन करने के बजाय हमें पागल घोषित कर देंगे। लेकिन हम पागल होते तो यह ख़बर नहीं लिख रहे होते। जिसका सीधा अर्थ है कि यह खबर शत प्रतिशत सत्य है।
दरअसल, दक्षिण भारतीय राज्य केरल की राजनीति में हमेशा कुछ अनोखा होता रहता है। नए-नए एक्सपेरिमेंट किए जाते हैं और उन पर नेशनल लेवल पर चर्चा होती है। इस बार केरल में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। राज्य में लोकल बॉडी इलेक्शन होने वाले हैं। यहीं पर एक नया प्रयोग देखने को मिल रहा है।
इन इलेक्शन से पहले एक दिलचस्प पॉलिटिकल डेवलपमेंट हुआ है। कांग्रेस, सीपीआई (एम ) और भाजपा ने मिलकर इलेक्शन लड़ने का फैसला किया है। अब सवाल यह उठता है कि एक-दूसरे की धुरविरोधी ये तीनों पार्टियां एक साथ क्यों आई हैं। ऐसा कौन सा खौफ है जिसने तीनों ही पार्टियों में दहशत भर दी है?
इस बार केरल की पॉलिटिक्स में एक अनोखा समीकरण देखने को मिल रहा है। कांग्रेस, सीपीआई (एम ) और भाजपा (तीनों दुश्मन पार्टियां) कोच्चि के पास मौजूद काइटेक्स ग्रुप की पॉलिटिकल ब्रांच Twenty20 के तेजी से बढ़ते असर का मुकाबला करने के लिए एक साथ आई हैं।
9 और 11 दिसंबर को होने वाले लोकल बॉडी इलेक्शन में इन पार्टियों ने इस कॉर्पोरेट-सपोर्टेड पार्टी को चैलेंज करने के लिए किझाक्कमबलम में एक जॉइंट इंडिपेंडेंट कैंडिडेट उतारा है। Twenty20 को 2013 में काइटेक्स ग्रुप ने एक CSR प्रोग्राम के तौर पर लॉन्च किया था। मकसद किझाक्कमबलम गांव को डेवलप करना था, जहां कंपनी की बड़ी गारमेंट यूनिट है। 2015 में ग्रुप ने पहली बार पंचायत चुनाव जीते। इसके बाद साल 2020 में इसने तीन पंचायतों पर कब्जा जमा लिया।
अब सवाल उठता है कि केरल की तीन बड़ी पार्टियां क्यों घबराई हुई हैं? इस बार ऑर्गनाइज़ेशन 48 पंचायतों कोच्चि म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, तीन म्युनिसिपैलिटी और कई जिलों में चुनाव लड़ रहा है। कुछ पंचायतों में सभी सीटों पर उनके कैंडिडेट हैं। पूथ्रिका पंचायत में सभी कैंडिडेट महिलाएं हैं। Twenty20 के इस प्लान ने कांग्रेस, सीपीआई (एम ) और भाजपा को चिंता में डाल दिया है।
Twenty20 के प्रेसिडेंट और काइटेक्स के एमडी साबू एम. जैकब का कहना है कि उनकी पार्टी ने चार पंचायतों में करप्शन खत्म किया है और लगभग 50 करोड़ रुपये बचाए हैं। किझाक्कमबलम में फूड सेफ्टी मार्केट, जिसने 50% सब्सिडी पर सामान दिया। इसने पार्टी को बहुत पॉपुलैरिटी दिलाई। हालांकि, बड़ी राजनीतिक पार्टियों की शिकायतों के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मार्केट बंद कर दिया गया था।
किझाक्कमबलम पंचायत की 21 सीटों में से कांग्रेस और भाजपा 2-2 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। जबकि सीपीआई (एम) एक सीट पर अकेले चुनावी मैदान में है। इसके अलावा बाकी सभी सीटों पर इन तीनों ही पार्टियों ने साझा तौर पर निर्दलीय उम्मीदवार उतार दिए हैं।
साबू एम. जैकब (सोर्स- सोशल मीडिया)
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, साबू ने पंचायतों के 50 करोड़ रुपये के सरप्लस फंड का इस्तेमाल करके लोगों को बिजली और गैस बिल पर 25% सब्सिडी देने का वादा किया है। उनका दावा है कि राज्य सरकार ने प्लान को मंज़ूरी नहीं दी, जिससे मामला हाई कोर्ट चला गया।
सीपीआई (एम) का आरोप है कि Twenty20 CSR के नाम पर लोगों को प्रभावित कर रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि साबू गरीबी का फ़ायदा उठा रहे हैं और मुफ़्त चीज़ें देकर राजनीति कर रहे हैं। भाजपा का दावा है कि महिलाओं की सब्सिडी स्कीम पर पार्टी की मज़बूत पकड़ है, इसीलिए उनके पास कम उम्मीदवार हैं।
साबू सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहते हैं कि काइटेक्स का सालाना CSR फंड सिर्फ़ 2.5 करोड़ रुपये है और इसके गलत इस्तेमाल का सवाल ही नहीं उठता। उनका दावा है कि सरकार ने पिछले पांच सालों में उनकी चार पंचायतों में 84 छापे और जांच की हैं, लेकिन कोई गड़बड़ी नहीं मिली। साबू ने बड़ी पार्टियों पर SDPI और वेलफ़ेयर पार्टी के साथ 25-पार्टी का गठबंधन बनाकर Twenty20 को रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टियों की नज़र पंचायत के 32 करोड़ रुपये के सरप्लस फंड पर है।
यह भी पढ़ें: अमित शाह गिराने वाले थे बंगाल सरकार? ममता बनर्जी के दावे से सियासी भूचाल, बोलीं- कब्र खोद रहें हैं
Twenty20 का चुनाव निशान आम है, लेकिन इस बार कई इंडिपेंडेंट कैंडिडेट अलग-अलग फलों के निशान के साथ इसके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। कुल मिलाकर, काइटेक्स ग्रुप की पॉलिटिकल ब्रांच Twenty20 के बढ़ते असर ने केरल की ट्रेडिशनल पॉलिटिक्स को एक नया मोड़ दिया है। यह देखना बाकी है कि क्या तीनों बड़ी पार्टियों की मिली-जुली स्ट्रैटेजी इस कॉर्पोरेट-समर्थित मॉडल को रोक पाएगी या Twenty20 अपना असर बढ़ाने में कामयाब होगा।