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‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को मायावती का समर्थन, जानिए बसपा सुप्रीमो ने क्यों लिया यह डिसीजन?

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर विपक्ष के विरोध के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसका समर्थन किया है। माया के इस रुख ने आम आदमी के साथ राजनीतिक दिग्गजों को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ऐसा क्या है जिसकी वजह से मायावती बीजेपी के साथ कदमताल करती हुई दिखाई दे रही हैं। इसके पीछे तीन बड़े कारण हैं जो आपको इस आर्टिकल में मिलेंगे।

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: Sep 18, 2024 | 06:20 PM

बसपा सुप्रीमो मायावती (सोर्स-सोशल मीडिया)

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लखनऊ: ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। कहा जा रहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र में इसे लेकर विधेयक भी पेश किया जाएगा। दूसरी, तरफ प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही विपक्षी दलों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया हैं। लेकिन इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक राष्ट्र एक चुनाव का समर्थन किया है। माया के इस रुख ने आम आदमी के साथ राजनीतिक दिग्गजों को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ऐसा क्या है जिसकी वजह से मायावती बीजेपी के साथ कदमताल करती हुई दिखाई दे रही हैं।

बुधवार को मोदी कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी। जिसके बाद विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाकर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे मेने मुद्दों से ध्यान भटकाने वाला करार दिया तो आम आदमी पार्टी ने भी केन्द्र की बीजेपी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।

यह भी पढ़ें:- जम्मू-कश्मीर की चिनाब घाटी में विधानसभा चुनाव को लेकर दिख रहा उत्साह, पहले चरण के लिए मतदान जारी

मायावती ने क्या कुछ कहा?

विपक्ष के चौतरफा विरोध के बीच बसपा मुखिया मायावती इसे लेकर सरकार के समर्थन में खड़ी दिखाई दीं। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था के तहत् देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा आज दी गयी मंजूरी पर हमारी पार्टी का स्टैण्ड पॉजिटिव है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना ज़रूरी है।

’एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था के तहत् देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा आज दी गयी मंजूरी पर हमारी पार्टी का स्टैण्ड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना ज़रूरी।

— Mayawati (@Mayawati) September 18, 2024

बसपा मुखिया मायावती ने वन नेशन वन इलेक्शन जैसे बड़े मुद्दे पर अपना रुख विपक्षी दलों से एकदम अलग क्यों रखा। इसके पीछे कौन सी वजहें हैं? इन सवालों के जवाब में एक या दो नहीं तीन कारण हैं। एक-एक करके जानते हैं।

बसपा को भेड़चाल से अलग रखना

एक राष्ट्र एक चुनाव के मुद्दे पर मायावती के सरकार के समर्थन के पीछे बहुजन समाज पार्टी और खुद को विपक्षी दलों की भेड़चाल से अलग रखना बड़ी वजह माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि तकरीबन सभी विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर खुलकर सरकार का विरोध कर रही हैं। ऐसे में अगर मायावती भी उस भीड़ का हिस्सा बनती हैं तो उन्हें जनता और मीडिया में शायद ही उतनी तवज्जो दी जाती, जितना कि अब समर्थन करने के बाद मिल रही है। क्योंकि लाइमलाइट में बने रहना राजनीति में सफलता की पहली कुंजी मानी जाती है।

खोए हुए जनाधार को समेटने की कोशिश

पिछले तीन लोकसभा चुनावों और दो यूपी विधानसभा चुनावों के नतीजों का विश्लेषण करें तो एक बात स्पष्ट तौर पर सामने आती है कि बसपा हाशिए पर पहुंच चुकी है। लोकसभा चुनाव 2019 में उसे 10 सीटें ज़रूर मिली थीं लेकिन तब वह सपा के साथ गठबंधन में थी। वहीं 2024 के नतीजों के लिहाज से देखा जाए तो माना यह जा रहा है कि बसपा का वोटबैंक उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हुआ है। इसलिए बसपा सुप्रीमो हर एक मुद्दे पर इन दलों से दूरी बनाकर रखना चाहती हैं।

बसपा-भाजपा की करीबियां

वर्तमान दौर में मुल्क की सियासत दो धड़ों में बंटती जा रही है। एक धड़ा कांग्रेस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर विपक्षी खेमें में खड़ा हुआ है, तो दूसरा धड़ा बीजेपी के साथ कदमताल कर रहा है। कांग्रेस के खेमें में समाजवादी पार्टी के होने के चलते मायावती उससे दूरी बना रही हैं। क्योंकि उत्तर प्रदेश की सियासत में सपा ही उसकी सबसे बड़ी राजनीतिक विरोधी है। ऐसे में मायावती के पास भाजापा के साथ कदम मिलाकर चलने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

यह भी पढ़ें:- ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को मिली मोदी कैबिनेट की मंजूरी, विरोधी दलों में बौखलाहट

Why bsp chief mayawati supports bjp on one nation one election

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Published On: Sep 18, 2024 | 06:20 PM

Topics:  

  • BJP
  • Congress
  • Mayawati

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