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अगर अरावली नहीं रही तो क्या होगा? SC के फैसले के बाद लोगों में उबाल क्यों है? जानिए सबकुछ

Aravalli Range: सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली की नई परिभाषा को मंजूरी के बाद लोगों में भारी गुस्सा है। लोग इसे पर्यावरण से समझौता बता रहे हैं। जानिए क्या हैं अरावली के फायदे और क्यों इसे बचाना जरुरी है।

  • By प्रतीक पांडेय
Updated On: Dec 20, 2025 | 12:53 PM

भारत की सबसे प्राचीन पर्वतमाला अरावली, फोटो- सोशल मीडिया

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Aravalli Hills Controversy: भारत की सबसे प्राचीन पर्वतमाला अरावली के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केवल 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों को अरावली मानने की नई परिभाषा स्वीकार की है, जिससे पर्यावरणविदों और राजनेताओं में भारी रोष है। डर है कि इससे खनन माफियाओं को खुली छूट मिल जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने एक केंद्रीय समिति द्वारा प्रस्तावित अरावली की नई कानूनी परिभाषा को मंजूरी दे दी है। इस नए मानक के अनुसार, केवल उन्हीं पहाड़ियों को अरावली माना जाएगा जिनकी ऊंचाई जमीन से कम से कम 100 मीटर है। भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की एक आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के 15 जिलों में मैप की गई 12,081 पहाड़ियों में से केवल 1,048 ही इस मानक पर खरी उतरती हैं। इसका सीधा अर्थ है कि अरावली का लगभग 91.3% क्षेत्र अब कानूनी सुरक्षा खो सकता है, जिससे वहां बेरोकटोक खनन और निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा।

थार रेगिस्तान की ‘प्राकृतिक ढाल’ का अंत?

अरावली केवल पहाड़ नहीं, बल्कि उत्तर भारत के लिए एक ‘रक्षा कवच’ है। यह थार रेगिस्तान को दिल्ली-NCR, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ने से रोकने वाली प्राकृतिक दीवार है। यह पर्वतमाला चंबल, साबरमती और लूणी जैसी नदियों का उद्गम स्थल है और राजस्थान जैसे सूखे राज्यों में भूजल को रिचार्ज करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये छोटी पहाड़ियां खत्म हुईं, तो उत्तर-पश्चिम भारत में बारिश का पैटर्न बदल जाएगा, धूल प्रदूषण बढ़ेगा और गर्मी का भीषण तनाव पैदा होगा।

अरावली से होने वाला नफा-नुकसान भी समझ लीजिए-

राजनीतिक घमासान और ‘डेथ वारंट’ के आरोप

इस फैसले के बाद राजनीतिक विवाद भी तेज हो गया है। कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने इसे अरावली के लिए ‘डेथ वारंट’ करार दिया है। वहीं, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि 90% पहाड़ियों को परिभाषा से बाहर करना उनके ‘मृत्यु प्रमाण पत्र’ पर हस्ताक्षर करने जैसा है। स्थानीय निवासी और एनजीओ ‘पीपल फॉर अरावली’ भी इस फैसले से निराश हैं, क्योंकि इससे वन्यजीवों के आवास नष्ट होंगे और मानव-पशु संघर्ष बढ़ेगा।

यह भी पढ़ें: यूपी, पंजाब समेत 7 राज्यों में आज और कल बारिश की संभावना, पढ़ें पूरी वेदर रिपोर्ट

खनन और कोर्ट का बीच का रास्ता क्या है?

सुप्रीम कोर्ट का तर्क है कि खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने से अवैध खनन और रेत माफिया को बढ़ावा मिलता है इसलिए, कोर्ट ने कड़े नियमों के साथ खनन जारी रखने का सुझाव दिया है, हालांकि नई माइनिंग लीज देने पर फिलहाल रोक है। विशेषज्ञों की चेतावनी है कि यदि 2060 तक अरावली पूरी तरह नष्ट हो गई, तो दिल्ली जैसे शहरों में भूकंप की संभावना बढ़ जाएगी और पानी के स्रोत खत्म हो जाएंगे।

What will happen if aravalli valley disappears why people campaigning save aravalli

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Published On: Dec 20, 2025 | 09:16 AM

Topics:  

  • Rajasthan News
  • Supreme Court

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