उज्जन महाकाल मंदिर। इमेज-सोशल मीडिया
Supreme Court Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर परिसर के विस्तार पर अपनी मुहर लगा दी है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली तकिया मस्जिद की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि आप सिर्फ एक उपासक हैं, भूमि का मालिक नहीं, इसलिए उसे अधिग्रहण कार्यवाही को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि याचिका में अधिग्रहण की अधिसूचनाओं को सीधे तौर पर चुनौती नहीं दी गई है, बल्कि आपत्ति केवल मुआवजा तक सीमित है। ऐसे मामलों में कानून के तहत वैकल्पिक वैधानिक उपाय मौजूद हैं।
पीठ ने सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी से कहा कि मुख्य सवाल है कि अधिग्रहण की कार्यवाही को चुनौती नहीं दी गई है, केवल अवार्ड पर आपत्ति है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता भूमि स्वामी या रिकॉर्डेड टाइटल होल्डर नहीं है तो वह अधिग्रहण को अवैध बताने का दावा नहीं कर सकता। याचिकाकर्ता के सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने तर्क दिया कि भूमि अधिग्रहण, भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 के तहत अनिवार्य सामाजिक प्रभाव आकलन के बिना किया गया, जिससे प्रक्रिया अवैध होती है।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने गलत मान लिया कि अधिग्रहण की कार्यवाही पहले अंतिम रूप ले चुकी है। वैसे, सुप्रीम कोर्ट इस दलील से सहमत नहीं हुआ। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट तकीया मस्जिद के ध्वस्तीकरण को चुनौती देने वाली अन्य याचिका भी खारिज कर चुका है। उस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार के इस पक्ष को स्वीकार किया था कि भूमि अधिग्रहित हो चुकी है। मुआवजा दिया गया है। कोई आपत्ति है तो 2013 के कानून के तहत वैधानिक उपाय अपनाए जा सकते हैं।
बता दें, इसी साल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी महाकाल लोक फेज–2 परियोजना से संबंधित भूमि अधिग्रहण को बरकरार रख कई याचिकाएं खारिज कर दी थीं। हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता न भूमि के मालिक हैं और न टाइटल होल्डर, इसलिए वे अधिग्रहण को नहीं, केवल मुआवजे को लेकर संदर्भ मांग सकते हैं।
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याचिका में दावा किया गया था कि संबंधित भूमि 1985 से मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड में दर्ज तकीया मस्जिद की वक्फ संपत्ति है। वक्फ अधिनियम की धारा 91 के तहत वक्फ बोर्ड को सुने बिना अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के साथ महाकाल लोक फेज–2 परियोजना के लिए तकीया मस्जिद भूमि अधिग्रहण से जुड़ा विवाद समाप्त हो गया। परियोजना उज्जैन में महाकाल मंदिर परिसर और आसपास के सार्वजनिक स्थलों के बड़े पैमाने पर पुनर्विकास से जुड़ी एमपी सरकार की प्रमुख योजना है।