कोलकाता एयरपोर्ट मस्जिद विवाद पर भाजपा का हमला
Kolkata Airport Mosque Issue Raise in Parliament: कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट इन दिनों उड़ानों से ज्यादा एक विवाद को लेकर चर्चा में है। मामला हजारों यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा है। एयरपोर्ट के दूसरे रनवे के रास्ते में एक मस्जिद आ रही है, जिसे लेकर अब सियासी घमासान शुरू हो गया है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण यानी एएआई ने इसे सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है। वहीं, भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और यात्रियों की जान जोखिम में डालने का आरोप लगाया है।
राज्यसभा में भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य के सवाल के जवाब में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया कि एक मस्जिद दूसरे रनवे के पास स्थित है। उन्होंने बताया कि यह सुरक्षित संचालन में बाधा डालती है, जिसके कारण रनवे के थ्रेशहोल्ड को 88 मीटर खिसकाना पड़ा है। जब मुख्य रनवे मेंटेनेंस के कारण बंद होता है, तब इस दूसरे रनवे का इस्तेमाल होता है, लेकिन मस्जिद की वजह से इसका पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। एयरपोर्ट की क्षमता दोगुनी करने और रनवे को 800-900 मीटर बढ़ाने के प्लान पर फिलहाल पानी फिरता नजर आ रहा है।
BJP Bengal State President Samik Bhattacharya raised a crucial question in the Rajya Sabha about the Mosque inside the operational area of Kolkata Airport and the government has now officially confirmed the obstruction. The Ministry of Civil Aviation has admitted that: ◼️ A… pic.twitter.com/cGlBikMJs2 — Amit Malviya (@amitmalviya) December 3, 2025
साल 2020 में केरल के कोझिकोड में हुए विमान हादसे की यादें अभी भी ताजा हैं, जहां रनवे से फिसलकर विमान घाटी में गिर गया था और 21 लोगों की जान चली गई थी। एएआई नहीं चाहता कि कोलकाता में भी सुरक्षा के साथ कोई समझौता हो। अगर मस्जिद हटती है तो रनवे का विस्तार हो सकेगा और विमान आसानी से उतर सकेंगे। हालांकि, मस्जिद कमेटी इसे हटाने या दूसरी जगह शिफ्ट करने के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे किसी भी कीमत पर जगह छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
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भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर ममता सरकार को घेरते हुए कहा कि यात्रियों की सुरक्षा को तुष्टिकरण की राजनीति के लिए बलि नहीं चढ़ाया जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार धार्मिक भावनाओं को राष्ट्रीय सुरक्षा से ऊपर रख रही है। दूसरी तरफ, पुराने टर्मिनल को गिराने और नए इंटीग्रेटेड टर्मिनल बनाने का काम भी ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी की मंजूरी के इंतजार में अटका पड़ा है। कुल मिलाकर, आधुनिकीकरण और सुरक्षा दोनों ही दांव पर लगे हैं।