नोएडा की शिक्षा प्रणाली पर मौसम की मार (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नोएडा: उत्तर प्रदेश और दिल्ली की प्राथमिक शिक्षा प्रणाली पर इन दिनों मौसम की मार दिखाई दे रही है। शीतलहर के चलते नोएडा के नर्सरी से लेकर 12वीं तक के स्कूल मंगलवार से अगले आदेश तक 9 बजे शुरू हुए। तो वहीं दूसरी ओर भारी प्रदूषण के चलते ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू किया गया है। बढ़ते प्रदूषण के कारण स्कूलों को हाइब्रिड मोड में शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है, जिसके तहत 5वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा दोनों का विकल्प दिया जाएगा।
गौतम बुद्ध नगर प्रशासन ने शीतलहर की स्थिति को देखते हुए जिले के सभी स्कूलों को मंगलवार से सुबह 9 बजे से कक्षाएं शुरू करने का सोमवार को आधिकारिक आदेश जारी किया था। जिसके बाद मंगलवार को इस आदेश का पालन करते हुए स्कूल 9 बजे से शुरू हुए। जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. धर्मवीर सिंह ने एक आदेश में कहा, “अत्यधिक ठंड के मद्देनजर गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, सभी विद्यालयों में कक्षाएं अगले आदेश तक सुबह 9 बजे से शुरू होंगी। इस संबंध में, सभी प्रधानाचार्यों को उपरोक्त निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है।”
जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. धर्मवीर सिंह ने सोमवार को एक पत्र जारी करते हुए इस आदेश की जानकारी दी। पत्र में उन्होंने बताया कि यह निर्णय जिले के सभी बोर्डों जैसे यूपी बोर्ड, सीबीएसई, आईएसई और आईबी के तहत संचालित सभी स्कूलों पर लागू होगा। सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को निर्देश दिए गए हैं कि वे समय में बदलाव का पालन सुनिश्चित करें और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें। यह निर्णय शीतलहर के बढ़ते प्रभाव और बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
तो वहीं बढ़ते प्रदूषण के कारण स्कूलों के 5वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए ‘हाइब्रिड मोड’ पर चलाने का भी आदेश दिया गया है, यानी कि वर्चुअल लर्निंग का विकल्प दिया गया है। जहां ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध है, वहां छात्र और उनके अभिभावक इसे चुन सकते हैं। GRAP-3 को लागू कर नोएडा और एनसीआर में प्रदूषण पर नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। सिंह ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में करीब 2,000 पंजीकृत स्कूल हैं, जिनमें से करीब 250 आईसीएसई और सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध हैं जबकि 170 यूपी बोर्ड से संबद्ध हैं।
प्रदूषण और ठंड को ध्यान में रखते हुए सरकारी कार्यालयों के समय में भी बदलाव किया गया है। इसका प्रमुख उद्देश्य सड़कों पर यातायात कम करना और एयर क्वालिटी में सुधार लाना है, जो कि इन दिनों काफी खराब स्थिति का सामना कर रहा है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए गैर-जरूरी निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाया गया है। लीनियर प्रोजेक्ट्स, अस्पतालों और हाईवे प्रोजेक्ट्स को मात्र इससे छूट दी गई है। इसके अलावा, BS-3 पेट्रोल और BS-4 डीजल वाहनों के परिचालन पर भी रोक लगा दी गई है। दिल्ली-एनसीआर के बाहर पंजीकृत BS-4 और उससे पुराने डीजल वाहनों को शहर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। प्रदूषण नियंत्रण करने की दिशा में ऐसे कई कदम उठाए गए हैं।