
संघ प्रमुख मोहन भागवत, CM योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
UP Politics News: यूपी में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर अभी से सभी पार्टियां रणनीति बनाने में लग गई हैं। इसी कड़ी में भाजपा में भी सियासी हलचल बढ़ गई है। लोकसभा चुनाव 2024 में हुई अनबन के बाद इस बार संघ भी एक्टिव दिख रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS ने चुनाव से पहले BJP लीडरशिप के लिए सख्त संदेश भेजा है।
2 दिसंबर को लखनऊ में RSS और BJP की मीटिंग हुई थी। खबरों के मुताबिक बैठक में उठे मुद्दे और मैसेज दोनों RSS ने तय किए। बैठक में मुहर लगा दी गई कि यूपी में योगी आदित्यनाथ ही चेहरा हैं। RSS का टिकट बंटवारे से लेकर मुद्दे तय करने में भी दखल होगा। साथ ही एक मैसेज यह भी दिया गया कि लोकसभा चुनाव की तरह BJP और RSS में कोई मतभेद नहीं हैं।
संघ ने साफ कहा कि यूपी में 2027 में होने वाला विधानसभा चुनाव सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। उनके नेतृत्व पर जो भी सवाल उठाएगा, उसको बागी समझा जाएगा। यह मैसेज केवल राज्य ही नहीं, राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए भी है। बता दें कि इस मीटिंग से पहले 24 नवंबर 2025 को RSS प्रमुख मोहन भागवत और CM योगी आदित्यनाथ अयोध्या में मिले थे।
सीएम योगी आदित्यनाथ
बता दें कि लखनऊ में करीब सवा 4 घंटे मीटिंग लखनऊ के RSS कार्यालय में पहले RSS की मीटिंग हुई। लगभग 3 घंटे चली इस मीटिंग में संगठन मंत्री बीएल संतोष, सह सरकार्यवाह अरुण कुमार और BJP के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी मौजूद थे। इसके बाद एक और बैठक BJP ऑफिस में हुई। इसमें CM योगी आदित्यनाथ और यूपी के दोनों डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी मौजूद थे। यह मीटिंग करीब सवा घंटे तक चली।
1. तनातनी से विधानसभा-लोकसभा चुनाव में सीटें घटीं, ऐसा दोबारा न हो
खबरों के अनुसार, लखनऊ में हुई बैठक की कमान पूरी तरह RSS के हाथ में थी। बैठक में स्पष्ट कर दिया गया कि यूपी चुनाव की जिम्मेदारी पूरी तरह पार्टी को नहीं सौंपी जाएगी। विधानसभा चुनाव में RSS की अहम भूमिका होगी और रणनीति से लेकर फैसलों तक में उसका दखल रहेगा। खबरों के अनुसार, 2022 का विधानसभा चुनाव पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ा था, लेकिन उस दौरान पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर सवाल उठे थे। कई नेता मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आ गए थे। इसका नतीजा यह हुआ कि 2017 के मुकाबले BJP की 57 सीटें कम हो गईं। 2017 में पार्टी को 312 सीटें मिली थीं, जो 2022 में घटकर 255 रह गईं।
इस खींचतान का असर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी दिखा। 2019 में BJP को यूपी से 62 लोकसभा सीटें मिली थीं, जबकि 2024 में यह संख्या घटकर 33 रह गई। इसी वजह से RSS ने चुनाव से करीब डेढ़ साल पहले ही यूपी में नेतृत्व को लेकर किसी भी तरह के भ्रम को खत्म करने का संदेश दे दिया है।
CM योगी, PM मोदी (फाइल फोटो)
RSS की ओर से यह साफ कर दिया गया है कि 2022 जैसी स्थिति दोबारा स्वीकार नहीं की जाएगी। योगी के नेतृत्व पर सवाल उठाने वालों को बागी माना जाएगा। पार्टी में जल्द बड़े संगठनात्मक बदलाव किए जाएंगे। इसका मतलब साफ है कि योगी के खिलाफ लॉबिंग करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा और कुछ नए चेहरों को संगठन में जगह मिलेगी। यह भी कहा गया कि यह संदेश केवल बैठक तक सीमित न रहे, बल्कि आम लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं तक भी पहुंचे।
2. योगी के खिलाफ न कोई बयान दे, न खबरें फैलाए
दूसरा बड़ा संदेश पार्टी हाईकमान के लिए था। RSS ने कहा कि BJP के राष्ट्रीय स्तर के नेता भी योगी आदित्यनाथ को लेकर कोई बयान न दें और न ही विवादित खबरों को बढ़ावा दें। जनता और विपक्ष के बीच यह संदेश मजबूती से पहुंचाया जाए कि योगी और गृह मंत्री अमित शाह या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मनमुटाव की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। RSS ने यह भी स्पष्ट किया कि योगी ही उसकी पहली पसंद हैं। चाहे चुनाव में टिकट वितरण हो या नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन, योगी की राय के बिना कोई फैसला नहीं लिया जाएगा।
CM योगी, गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
3. यूपी में हिंदूवादी संगठनों और साधु-संतों का बड़ा सम्मेलन
खबरों के अनुसार, तीसरा अहम मुद्दा सीधे चुनावी रणनीति से जुड़ा है। बैठक में तय हुआ कि 2026 में उत्तर प्रदेश में हिंदूवादी संगठनों और साधु-संतों का एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसमें देशभर के साधु-संतों और हिंदूवादी संगठनों को आमंत्रित किया जाएगा। सम्मेलन में RSS के वरिष्ठ पदाधिकारी और BJP के राष्ट्रीय नेता भी शामिल होंगे। इसका उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुटता का संदेश देना है।
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24 नवंबर 2025 को RSS प्रमुख मोहन भागवत अयोध्या में मौजूद थे। वे गुरु तेग बहादुर सिंह के 350वें शहादत दिवस समारोह में शामिल होने आए थे। इसी दौरान वे अचानक दोपहर में दर्शन के लिए राम मंदिर पहुंचे। शाम को वे अयोध्या स्थित RSS कार्यालय ‘साकेत निलयम’ भी गए। उसी दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अयोध्या में थे। वे राम मंदिर में ध्वजारोहण समारोह की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे थे।






