डी वाई चंद्रचूड़ और संजीव खन्ना (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : आज यानी 10 नवंबर को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ अपने दो साल के कार्यकाल के बाद रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में जस्टिस चंद्रचूड़ आज देश के CJI के रूप में काम के आखिरी दिन कई बड़े अहम फैसले ले सकते हैं। इसमें से आज एक फैसला AMU को अल्पसंख्यक संस्थान माना जाए या नहीं? इस पर भी हो सकता है।
जानकारी दें कि, आज 10 नवंबर को चीफ जस्टिस ऑडीवाई चंद्रचूड़ रिटायर होने के बाद देश के अगले चीफ जस्टिस जस्टिस संजीव खन्ना होंगे। ये आगामी 11नवंबर यानी शुक्रवार को अपना पदभार संभालेंगे और देश के 51वें चीफ जस्टिस होंगे। वह कल शपथ लेंगे। इससे एक दिन पहले वर्तमान चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ 65 वर्ष की उम्र पूरी करने पर पद मुक्त हो जाएंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने आठ नवंबर, 2022 को चीफ जस्टिस के रूप में पदभार ग्रहण किया था। जस्टिस खन्ना का प्रधान न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल 6 महीने से कुछ अधिक होगा और वह 13 मई, 2025 को पदमुक्त होंगे।
बता दें कि, देश के अगले चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने बीते मंगलवार को कहा था कि मौजूदा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ एक विद्वान न्यायविद हैं जिन्होंने न्याय तक पहुंच को संस्थान की नीति का केंद्र बनाया। उन्होंने कहा था कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ डेटा-संचालित सुधारों को भलीभांति समझते हैं। जस्टिस खन्ना तब उच्चतम न्यायालय के तीन प्रकाशनों के विमोचन के अवसर पर एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
इस मौके पर जस्टिस खन्ना ने अप्रत्यक्ष व अदृश्य भेदभाव और कानून प्रणाली में खर्च व देरी जैसी बाधाओं सहित ग्रामीण इलाकों तथा हाशिए पर रहने वाले लोगों से जुड़े मुद्दों के संबंध में राष्ट्रपति मुर्मू के ‘सुझाव’ पर बात की थी । उन्होंने कहा थी कि, “इन चुनौतियों से प्रेरित होकर प्रधान न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने न्याय तक पहुंच को संस्थान की नीति का केंद्र बनाया। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ न केवल एक विद्वान न्यायविद हैं बल्कि वे सूचना प्रौद्योगिकी और डेटा आधारित सुधारों के महत्व को भी अच्छी तरह समझते हैं।”
उन्होंने कहा था कि , “उनके (प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़) तत्वावधान में अनुसंधान और योजना केंद्र युवा अधिवक्ताओं के लिए थिंक टैंक के रूप में उभरा है।” उन्होंने कहा कि तीनों प्रकाशन कई मुद्दों पर प्रकाश डालते हैं और न्याय प्रणाली में आवश्यक सुधारों का आह्वान करते हैं।
जस्टिस खन्ना ने यह भी कहा था कि, विकास और सुधार के लिए आलोचना आवश्यक है। पहली बार अपराध करने वाले को किसी एक कृत्य से परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए और सुधार की शुरुआत न्याय तक पहुंच से होनी चाहिए, जिसमें कानूनी सहायता एक अविभाज्य अधिकार है।
इसके साथ ही उन्होंने खुली जेलों की अवधारणा और इसके फायदों के बारे में भी बात की और कहा कि इसमें परिचालन लागत कम है, बार-बार अपराध करने वाले कम हैं और मानवीय गरिमा बहाल होती है।
गौरतलब है कि, प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने बीते 17 अक्टूबर को केंद्र सरकार से न्यायमूर्ति खन्ना को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने की सिफारिश भी की थी। वहीं न्यायमूर्ति खन्ना प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के एक दिन बाद 11 नवंबर को कार्यभार संभालेंगे। चंद्रचूड़ दो साल तक भारतीय न्यायपालिका के शीर्ष पद पर रहे।