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साल 1880 में हुआ था मलेरिया पर सबसे पहला अध्ययन, “विश्व मलेरिया दिवस” पर जानें क्या है इस साल की थीम?

  • By दामिनी सिंह
Updated On: Apr 25, 2023 | 06:35 AM
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नई दिल्ली : मलेरिया (Malaria) एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों (Anopheles Mosquitoes) के काटने से फैलता है। यह बीमारी ज्यादातर वातावरण में नमी या बरसात के मौसम में जमा पानी के कारण होता है। मलेरिया के लक्षण मादा मच्छरों के काटने के 6 से 8 दिन बाद शुरू हो सकते हैं। कभी-कभी यह बीमारी बच्चों के लिए जानलेवा भी हो सकती है। 

ऐसे में लोगों को इससे बचाने के लिए और इसके प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 25 अप्रैल को दुनिया भर में ‘विश्व मलेरिया दिवस’ (World Malaria Day) के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य मलेरिया से लोगों को जागरूक करना और उनकी जान की रक्षा करना है। ताकि इस गंभीर बीमारी की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने, उसके निवारण और नियंत्रण को ध्यान में रखकर मनाया जाता है।

इस दिन का इतिहास 

जानकारी के मुताबिक इस बीमारी को सबसे पहले चीन में पाया गया था। जहां इसे उस समय ‘दलदली बुखार’ कहा जाता था, क्योंकि यह बीमारी गंदगी से पनपती है। ‘मलेरिया’ इटालियन भाषा के शब्द ‘माला’+’एरिया’ से बना है, जिसका अर्थ ‘बुरी हवा’ होता है। साल 1880 में मलेरिया पर सबसे पहला अध्ययन वैज्ञानिक चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरिन ने किया।

मलेरिया से जाती है लाखों जानें  

हर साल मलेरिया से लाखों मौतें होती हैं। गंदगी वाली जगहों और नम इलाकों में मलेरिया बहुत जल्दी अपने पैर पसारता है। आज भी दुनिया में कई सारे देश ऐसे हैं जो कि एक मच्छर के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारी मलेरिया से लड़ रहे हैं। कई सारे लोग इसे नजरअंदाज कर देते है। जिस कारण उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। 

विश्व मलेरिया दिवस थीम 2023 

गौरतलब है कि साल 2023 के लिए विश्व मलेरिया दिवस की थीम रखी गई है, ‘Ready To Combat Malaria’ यानी मलेरिया से लड़ने के लिए तैयार। इस थीम के पीछे का मकसद लोगों को मलेरिया से निपटने के लिए तैयार रहने के लिए जागरूक करना है।

The first study on malaria was done in the year 1880 know what is the theme of this year on world malaria day

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Published On: Apr 25, 2023 | 06:35 AM

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