मुत्याला श्रीवेधा।
Telangana Sarpanch Election: हाल में तेलंगाना में हुए पंचायत चुनाव के परिणाम में एक दिलचस्प मामला आया। हर एक वोट जरूरी होता है कथन को इस नतीजे ने चरितार्थ कर दिया। यह कहानी निर्मल जिले के छोटे से गांव बागापुर की मुत्याला श्रीवेधा की है। वह लोकश्वरम मंडल की बागापुर ग्राम पंचायत में सरपंच पद की प्रत्याशी थीं। मुकाबला बेहद मुश्किल था। उनकी प्रतिद्वंदी हर्षस्वाती थीं। जैसे ही मुकाबले का नतीजा आया तो पूरा गांव सन्न रह गया। श्रीवेधा चुनाव जीत गईं, सिर्फ एक वोट से।
बागापुर गांव की ये घटना सिर्फ एक खबर नहीं है, बल्कि लोकतंत्र में मतदान की उस खास ताकत का दिलचस्प उदाहरण है, जिसे लोग अक्सर एक वोट कहकर इग्नोर कर देते हैं। इस चुनाव में श्रीवेधा को 189 वोट मिले और उनकी प्रतिद्वंदी हर्षस्वाती को 188 वोट मिले। श्रीवेधा को जो एक वोट ज्यादा मिले, वह उसके ससुर के थे, जो बहू के चुनाव लड़ने की सूचना पर अमेरिका से आए थे।
गांव में कुल 426 पंजीकृत वोटर हैं। इनमें से 378 लोगों ने मतदान किया। श्रीवेधा को 189 वोट मिल गए, जबकि हर्षस्वाती को 188 वोट मिले। एक वोट इनवैलिड हो गया। श्रीवेधा को मिला ये स्पेशल वोट और उनके ससुर मुट्याला इंद्रकरण रेड्डी का था। इसी एक वोट ने नतीजा ही बदल दिया। नहीं तो मतदान ड्रॉ हो जाता। रोचक बात है कि इस एक वोट के लिए रेड्डी सात समंदर पार से गांव चले आए थे। चुनाव से पहले वह अमेरिका में थे। वह चाहते तो बहू को फोन पर शुभकामनाएं दे देते, लेकिन तब वो लोकतंत्र के इस ताकत का हिस्सा कैसे बनते? वह अमेरिका से खासकर बहू को वोट देने के लिए गांव आए।
अक्सर लोग कहते हैं कि मेरे एक वोट से क्या बदल जाएगा? बागापुर का यह नतीजा उनको जवाब है कि आपके एक वोट से परिणाम बदल जाएगा। सरकार बदल जाती है।
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अप्रैल 1999 को अपने राजनीतिक आदर्शों में जोड़-तोड़ की सरकार को चिमटे से भी न छूने की वकालत करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी के सामने इसी एक वोट की चुनौती थी। यह एक वोट मिलता तो उन्हें पीएम का पद नहीं छोड़ना पड़ता। वह प्रधानमंत्री बने रहते, अगर विश्वासमत की वोटिंग वाले स्कोर बोर्ड पर उनकी सरकार के पक्ष में 269 और विपक्ष में 270 मत न पड़े होते। एक वोट ने उनकी सरकार गिरा दी थी।