सुप्रीम कोर्ट (सोर्स - सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े नए कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट 14 मई को सुनवाई करेगा। यह मामला काफी अहम हो गया है क्योंकि इसमें यह तय किया जाना है कि देश के चुनाव आयोग जैसे स्वतंत्र संवैधानिक संस्थान की नियुक्ति प्रक्रिया पर किस कानून या निर्णय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस पर याचिकाकर्ता लगातार जल्द सुनवाई की मांग कर रहे थे, लेकिन कोर्ट ने अब इसकी तारीख अगले महीने तय कर दी है।
याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का वह फैसला लागू होना चाहिए जिसमें नियुक्ति समिति में प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और देश के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं, या फिर 2023 में बना नया कानून सही माना जाए जिसमें मुख्य न्यायाधीश को समिति से हटा दिया गया है। इस मुद्दे पर देशभर में बहस छिड़ी है और याचिकाकर्ताओं का कहना है कि न्यायपालिका को इससे पूरी तरह अलग कर देना लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकता है।
सुनवाई की तारीख आगे क्यों बढ़ी
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि आज की कार्यवाही में भूमि अधिग्रहण सहित कई अहम मामलों पर सुनवाई पहले से तय थी, इसलिए इस संवेदनशील मुद्दे को अगले महीने सुना जाएगा।
क्या है याचिका का मूल सवाल
याचिका में यह पूछा गया है कि क्या सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करती है या नहीं, और क्या इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अनदेखी की गई है। यह मामला सिर्फ एक कानून का नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संवैधानिक संतुलन से जुड़ा है, इसलिए 14 मई की सुनवाई को लेकर व्यापक नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं।
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क्या है पूरा मामला
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आज पीठ भूमि अधिग्रहण समेत कई अन्य महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी। गौरतलब है कि 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाले 2023 के कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तारीख तय की थी। याचिकाकर्ता एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। एडीआर की याचिका में एक कानूनी मुद्दा उठाया गया है, जिसमें पूछा गया है कि क्या मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले को माना जाए, जिसमें प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और देश के मुख्य न्यायाधीश की समिति मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करेगी या साल 2023 में बने नए कानून को, जिसमें मुख्य न्यायाधीश को समिति से बाहर रखा गया है।