सिगंदूर पुल के उद्घाटन पर गडकरी पर भड़के सिद्धारमैया, फोटो: सोशल मीडिया
एक तरफ सिगंदूर पुल का उद्घाटन केंद्र सरकार की ओर से किया गया तो वहीं राज्य की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को कार्यक्रम से दरकिनार किए जाने का आरोप सामने आया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि उन्हें और उनकी सरकार के किसी भी मंत्री को उद्घाटन समारोह के लिए समुचित और समय पर निमंत्रण नहीं मिला। इसपर नितिन गडकरी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
सीएम सिद्धारमैया ने दावा किया कि कार्यक्रम के लिए निमंत्रण पत्रों पर उनका नाम तो छापा गया, लेकिन उनसे कोई चर्चा या सहमति नहीं ली गई जो कि सरकारी प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। सिद्धारमैया ने मीडिया को बताया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से इस संबंध में फोन पर बात की थी। गडकरी ने उन्हें भरोसा दिया था कि कार्यक्रम को स्थगित कर दिया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद भाजपा नेताओं के दबाव में बिना राज्य सरकार को सूचित किए उद्घाटन कर दिया गया।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया कि उन्हें उद्घाटन कार्यक्रम के लिए 11 जुलाई को आमंत्रण पत्र मिला था जबकि समारोह 14 जुलाई को था। उन्होंने पहले से ही विजयपुरा में एक कार्यक्रम में शामिल होने की प्रतिबद्धता दे रखी थी। इस कारण से इतनी कम सूचना में उनके लिए उपस्थित होना संभव नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला केवल एक औपचारिकता का नहीं, बल्कि संघीय ढांचे और परस्पर सम्मान से जुड़ा है।
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इस पुल परियोजना में सिद्धारमैया ने राज्य सरकार के 75% योगदान होने की बात भी उठाई। सीएम ने केंद्र की भाजपा सरकार पर कार्यक्रम को राजनीतिक रंग देने का आरोप भी लगाया। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और मधु बंगारप्पा ने भी मुख्यमंत्री का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की।
In a major step towards boosting regional connectivity, the inauguration and foundation stone laying ceremony for multiple key infrastructure projects is being held today in Shivamogga, Karnataka.
An official invitation was duly extended to the Chief Minister of Karnataka, Shri… pic.twitter.com/yDPbRdsygd
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) July 14, 2025
दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर सफाई देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को 11 जुलाई को औपचारिक आमंत्रण भजा गया था। इसके अतिरिक्त, 12 जुलाई को एक पत्र द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ने का प्रस्ताव भी दिया गया था, ताकि यदि वे उपस्थित न हो सकें तो ऑनलाइन माध्यम से जुड़ सकें।