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‘इस्लाम की शिक्षा देना गलत नहीं है..’, AIMIM को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

Supreme Court: देश की सर्वोच अदालत ने मंगलवार को कहा कि जाति के आधार पर राजनीति करने वाले राजनीतिक दल देश के लिए समान रूप से खतरनाक हैं। लेकिन यदि कोई धार्मिक शिक्षा दे रहा है तो वह गलत नहीं है।

  • By सौरभ शर्मा
Updated On: Jul 15, 2025 | 09:01 PM

AIMIM के पंजीकरण को चुनौती देने वाली याचिका को कोर्ट ने खारिज किया (फोटो- सोशल मीडिया)

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Supreme Court Decision: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाति के आधार पर राजनीति करने वाली पार्टियां देश के लिए खतरनाक हैं। कोर्ट ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का पंजीकरण रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि AIMIM के घोषणापत्र के अनुसार, वह समाज के हर पिछड़े वर्ग के लिए काम करती है, जो संविधान में मान्य है। साथ ही, कोर्ट ने याचिकाकर्ता से किसी विशेष पार्टी या व्यक्ति को निशाना बनाए बिना व्यापक मुद्दों पर एक सामान्य याचिका दायर करने को कहा।

कोर्ट ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) का राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण रद्द करने की मांग वाली याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि AIMIM के संविधान के अनुसार, उसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों सहित समाज के हर पिछड़े वर्ग के लिए काम करना है। यह संविधान में स्वीकार्य है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन पेश हुए। पीठ ने जैन से कहा कि पार्टी का कहना है कि वह अल्पसंख्यक समुदायों और आर्थिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े मुसलमानों सहित समाज के हर पिछड़े वर्ग के लिए काम करेगी। यह हमारे संविधान का सिद्धांत है। संविधान अल्पसंख्यकों को कुछ अधिकार देता है।

‘नई याचिका दायर करें, साझा मुद्दे उठाएं’
पीठ ने जैन से दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने को कहा, जिसमें एआईएमआईएम के पंजीकरण और चुनाव आयोग द्वारा दी गई मान्यता को चुनौती दी गई थी। इसके बजाय, उन्होंने सुझाव दिया कि वह एक व्यापक याचिका दायर करें, जिसमें राजनीतिक दलों में सुधार के लिए साझा मुद्दे उठाए जा सकें।

‘जाति आधारित राजनीति खतरनाक है’
देश की शीर्ष अदालत ने कहा, शायद आप सही कह रहे हैं कि कुछ चीजें ऐसी होती हैं जहाँ पार्टी या उसके उम्मीदवार धार्मिक भावनाओं को आहल करने वाले प्रोग्राम में भी शामिल हो सकते हैं। लेकिन यह मामला अन्य कहीं पर उठाया जा सकता है। इस पर आगे कहा गया, कुछ राजनीतिक पार्टियां भी जाति के आधार पर राजनीति करते हैं, जो कि देश के लिए ये भी खतरनाक है। इसकी कतई इजाजत नहीं है। आप एक नॉर्मल याचिका दायर करें, जिसमें आप किसी भी दल या कोई भी व्यक्ति पर आरोप न लगाते हुए सामान्य तरीके से इस मुद्दे को उठाएं। इस पर जरूर ध्यान देंगे।

‘इस्लामी शिक्षा को बढ़ावा देना गलत नहीं’
जस्टिस जैन ने कहा कि AIMIM भी मुसलमानों में इस्लाम की शिक्षा व जागरूकता को बढ़ावा देने व शरिया कानून का पालन करने के प्रति जागरूकता पैदा करने की बात करती है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, इसमें क्या गलत है? इस्लामी शिक्षा देना गलत नहीं है। अगर देश में और भी राजनीतिक दल शिक्षण संस्थान स्थापित करते हैं, तो हम इसका स्वागत करेंगे। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। जैन ने दावा किया कि अगर वह हिंदू नाम से किसी दल का पंजीकरण कराने के लिए चुनाव आयोग जाते हैं और वेद, पुराण और उपनिषद पढ़ाने का आश्वासन देते हैं, तो उनकी याचिका खारिज कर दी जाएगी।

‘प्राचीन ग्रंथों को पढ़ना गलत नहीं’
इस पर पीठ ने कहा कि अगर चुनाव आयोग वेद, पुराण, धर्मग्रंथ या किसी भी धार्मिक ग्रंथ के अध्ययन पर कोई आपत्ति उठाता है, तो आप उचित मंच पर जाएँ। कानून इसका ध्यान रखेगा। हमारे प्राचीन ग्रंथों, पुस्तकों या इतिहास को पढ़ने में कुछ भी गलत नहीं है। कानून में कोई प्रतिबंध नहीं है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि अगर कोई पार्टी छुआछूत को बढ़ावा देती है, तो यह बिल्कुल गलत है और उस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। लेकिन अगर संविधान किसी धार्मिक कानून को संरक्षण देता है और पार्टी उसे पढ़ाने की बात करती है, तो इसमें कोई समस्या नहीं है।

उन्होंने कहा, मान लीजिए कि कोई धार्मिक कानून संविधान के तहत संरक्षित है और कोई राजनीतिक दल कहता है कि हम उस कानून को पढ़ाएंगे, तो उन्हें इसे पढ़ाने की अनुमति दी जाएगी क्योंकि यह संविधान के अंतर्गत आता है। यह संविधान के दायरे में है और आपत्तिजनक नहीं है।

यह भी पढ़ें: ‘रोहित वेमुला दलित नहीं…’, लेकिन कर्नाटक सरकार उसकी जाति के नाम पर बांटेगी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी याचिका खारिज की
16 जनवरी को, दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एआईएमआईएम के पंजीकरण और मान्यता को चुनौती देने वाली एक याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि पार्टी ने कानून के तहत सभी आवश्यकताओं को पूरा किया है। उच्च न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के फैसले से सहमति व्यक्त की, जिसमें कहा गया था कि याचिका का कोई ठोस आधार नहीं है और यह एआईएमआईएम सदस्यों के मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप है। उन्हें अपनी राजनीतिक मान्यताओं और मूल्यों के साथ एक राजनीतिक दल बनाने का अधिकार है।

Sc decision not wrong to teach islam petition challenging aimims registration dismissed

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Published On: Jul 15, 2025 | 09:01 PM

Topics:  

  • AIMIM
  • Legal News
  • Supreme Court
  • Supreme Court Verdict

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