सत्यपाल मलिक (फोटो- सोशल मीडिया)
Satyapal Malik Death: जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपराज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 79 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। सत्यपाल मलिक को एक चतुर और अनुभवी राजनेता के रूप में जाना जाता था। अपने पांच दशक से भी अधिक लंबे राजनीतिक करियर में उन्होंने कई बार पार्टी बदली, लेकिन हर बार उनका निर्णय कारगर और सही साबित हुआ। आइए उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं।
सत्यपाल मलिक का जन्म जुलाई 1946 में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावड़ा गांव में हुआ था। उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई की। इसी दौरान वे छात्र राजनीति से जुड़ गए। इसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की और फिर मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखा।
सत्यपाल मलिक उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से आते थे। यह इलाका जाट बहुल माना जाता है, जहां से कई बड़े नेता निकले हैं। इन्हीं में से एक थे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह। सत्यपाल मलिक की उनसे मुलाकात 1969 में छात्र राजनीति के दौरान हुई थी, जिसके बाद वे उनके करीबी बन गए। 1974 में उन्होंने पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वे चौधरी चरण सिंह की पार्टी में शामिल हो गए।
चौधरी चरण सिंह के साथ सत्यपाल मलिक (फोटो- सोशल मीडिया)
1980 में चौधरी चरण सिंह ने मलिक को पार्टी का महासचिव बनाकर पहली बार राज्यसभा भेजा। लेकिन 1984 तक आते-आते मलिक को लगा कि चरण सिंह अपने बेटे अजीत सिंह को उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस ने 1986 में उन्हें एक बार फिर राज्यसभा भेजा। लेकिन 1987 में बोफोर्स घोटाले के समय उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और जनता दल में शामिल हो गए।
पीवी सिंह ने बनाया था मंत्री (फोटो- सोशल मीडिया)
जनता दल ने 1989 में उन्हें उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से लोकसभा चुनाव में टिकट दिया, जिसमें वे विजयी हुए। इसके बाद उन्हें वी.पी. सिंह सरकार में संसदीय कार्य और पर्यटन राज्य मंत्री बनाया गया। लेकिन कुछ ही वर्षों में उनका जनता दल से भी मोहभंग हो गया और 2004 में वे अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व वाली भाजपा में शामिल हो गए। हालांकि उसी वर्ष लोकसभा चुनाव में उन्हें अपने राजनीतिक गुरु चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह से हार का सामना करना पड़ा।
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भाजपा में रहते हुए सत्यपाल मलिक ने कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं। 2017 में नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया। एक वर्ष बाद, 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया गया। उनके कार्यकाल के दौरान ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया। 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर से हटाकर पहले गोवा और फिर मेघालय का राज्यपाल बनाया गया। हालांकि इस समय तक उनके संबंध केंद्र सरकार से तनावपूर्ण हो गए थे और वे अक्सर मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहते थे।