मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पटौदी परिवार का फैसला पलटा
भोपाल: मशहूर अभिनेता सैफ अली खान और पटौदी परिवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। भोपाल रियासत की संपत्ति को लेकर जारी लंबे समय से चले आ रहे विवाद में जबलपुर बेंच ने ट्रायल कोर्ट के सन 2000 में दिए गए फैसले को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट ने सभी कानूनी पहलुओं पर विचार किए बिना फैसला सुनाया था, जो कि त्रुटिपूर्ण था। अब ट्रायल कोर्ट को एक साल के भीतर मामले की दोबारा सुनवाई करनी होगी।
यह मामला भोपाल के अंतिम नवाब मोहम्मद हमीदुल्लाह खान की संपत्ति के उत्तराधिकार से जुड़ा है। नवाब की मृत्यु के बाद उनकी बेटियों और उत्तराधिकारियों ने दावा किया था कि उनकी संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत होना चाहिए। ट्रायल कोर्ट ने 2000 में यह याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक पूर्व निर्णय के आधार पर खारिज कर दी थी। अब हाई कोर्ट ने यह कहते हुए फैसला पलट दिया कि वह निर्णय यहां लागू नहीं होता।
पटौदी परिवार के खिलाफ मामला फिर खुलेगा
जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि भोपाल सिंहासन उत्तराधिकार अधिनियम 1947, भारत में विलय के बाद निष्प्रभावी हो चुका था। इस आधार पर ट्रायल कोर्ट का निर्णय न केवल अधूरा था, बल्कि कानूनी रूप से भी त्रुटिपूर्ण था। हाई कोर्ट ने अब ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया है कि सभी पक्षों की दलीलें ध्यानपूर्वक सुनकर नए सिरे से निर्णय लिया जाए। यह आदेश नवाब मंसूर अली खान पटौदी, शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, सबा सुल्तान और सोहा अली खान को भी प्रभावित करेगा।
हजारों एकड़ जमीन पर चल रहा है विवाद
भोपाल में पटौदी परिवार के पास हजारों एकड़ जमीन है। औकाफ-ए-शाही सहित रॉयल प्रॉपर्टी को लेकर कई सालों से मुकदमेबाज़ी जारी है। कई परिवारजन, जिनमें सुरैया रशीद, बेगम मैहर ताज, राबिया सुल्तान शामिल हैं, इस पर अधिकार की मांग कर चुके हैं। हाई कोर्ट के ताजा फैसले से संपत्ति बंटवारे की दिशा में नया मोड़ आ सकता है।
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यह मामला नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान की मृत्यु (4 फरवरी 1960) के बाद उनकी निजी संपत्ति के उत्तराधिकार से जुड़ा है। गौरतलब है कि भोपाल रियासत का भारत में विलय 30 अप्रैल 1949 को हुआ था और लिखित समझौते के तहत नवाब के विशेषाधिकार और उनकी निजी संपत्ति का मालिकाना हक बरकरार रखा गया था। भारत सरकार ने 10 जनवरी 1962 को एक पत्र जारी कर संविधान के अनुच्छेद 366 (22) के तहत नवाब की संपत्ति को निजी संपत्ति के रूप में मान्यता दी थी।