राहुल गांधी, सिद्धारमैया व डीके शिवकुमार (डिजाइन फोटो)
Rohit Vemula Bill: कर्नाटक सरकार वर्ष 2016 में आत्महत्या करने वाले दलित पीएचडी छात्र रोहित वेमुला के नाम पर एक विधेयक लाने जा रही है। यह विधेयक विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि इसमें भेदभाव के दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान है। हालाँकि, राज्य सरकार की ओर से इसके प्रावधानों के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
कर्नाटक रोहित वेमुला (बहिष्कार या अन्याय निवारण) (शिक्षा और सम्मान का अधिकार) विधेयक, 2025 मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। इसमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यक शामिल होंगे। इस विधेयक का उद्देश्य निजी और सरकारी विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को शिक्षा का अधिकार और शिक्षा तक पहुँच प्रदान करना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबाकि कानून के मसौदे में कहा गया है कि इसके तहत अपराध सिद्ध होने पर ज़मानत नहीं दी जाएगी। साथ ही, अगर कोई भेदभाव करता है, मदद करता है या भेदभाव के लिए किसी को उकसाता है, तो उसे कड़ी सज़ा भी दी जाएगी।
यह बिल अगर पास होता है तो पहली बार अपराध करने पर एक साल की जेल और 10 हज़ार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही, अदालत पीड़ित को सीधे मुआवज़ा देने की अनुमति दे सकती है। यह राशि 1 लाख रुपये तक हो सकती है। बार-बार अपराध करने पर तीन साल की जेल और 1 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
बताया गया है कि अगर कोई संस्थान सभी वर्गों, जातियों, पंथों, लिंगों या राष्ट्रों को शिक्षा प्रदान करने के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो उस पर समान दंड लगाया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, विधेयक में कहा गया है कि ऐसे संस्थानों को राज्य सरकार द्वारा वित्तीय सहायता या अनुदान नहीं दिया जाएगा।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला ने जनवरी 2016 में कथित जातिगत भेदभाव के कारण आत्महत्या कर ली थी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को पत्र लिखकर ‘रोहित वेमुला एक्ट’ लागू करने का अनुरोध किया था।
तेलंगाना के डिप्टी सीएम बीवी मालू और कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रमुख राजेंद्र पाल गौतम ने पहले जब भी दलित, पिछड़े, आदिवासी छात्रों के उत्पीड़न की कोई घटना होती थी, सरकार पीड़ितों के साथ खड़ी होती थी और आरोपियों को सजा दी जाती थी, लेकिन 2014 के बाद भाजपा सरकार दलित, पिछड़े, आदिवासी छात्रों के उत्पीड़न की घटनाओं को अंजाम देने वालों के साथ खड़ी है।
इस संबंध में रोहित वेमुला हत्याकांड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किन परिस्थितियों में 17 जनवरी, 2016 को रोहित वेमुला को अपनी जान देनी पड़ी। सरकार ने सात महीने तक उनकी छात्रवृत्ति रोक दी और उन्हें कई तरह से परेशान किया गया। उत्पीड़न का यह मामला हैदराबाद विश्वविद्यालय के अंदर हुआ था।
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अंबेडकर एसोसिएशन ने इस मामले को उठाया था और उसके बाद कार्रवाई हुई और सुशील कुमार से लिखित में माफ़ी मांगने को कहा गया, लेकिन माफ़ी मांगने के बजाय, उन्होंने भाजपा की मदद ली और उनके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करा दी। इसमें भाजपा सरकार के कई नेता शामिल थे। इस मामले में ऐसी परिस्थितियाँ पैदा की गईं कि रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली।