
AAP से 'ब्रेकअप' के बाद RSS के मुरीद हुए अवध ओझा
Avadh Ojha Statement on RSS: मशहूर कोचिंग गुरु अवध ओझा ने राजनीति के मैदान से हटते ही एक ऐसा बयान दिया है जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। आम आदमी पार्टी से अपने रास्ते अलग करने और राजनीति से संन्यास लेने के साथ ही उन्होंने भाजपा की जीत का सीक्रेट बता दिया है। ओझा ने खुलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस की तारीफ की है और दूसरे दलों पर तंज कसते हुए कहा है कि वहां चिंतक दरअसल चाटुकार बन जाते हैं। उनका यह विश्लेषण अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
पिछले साल दिसंबर में ही अवध ओझा ने आम आदमी पार्टी का दामन थामा था, लेकिन ठीक एक साल बाद मंगलवार को उन्होंने पार्टी और राजनीति दोनों को अलविदा कह दिया। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को महान नेता बताते हुए धन्यवाद दिया और इसे अपना व्यक्तिगत फैसला बताया। हालांकि, आप के कुछ कार्यकर्ता उनके इस फैसले से नाराज भी दिखे। लेकिन जाते-जाते ओझा ने भाजपा और अन्य दलों के बीच का जो सबसे बड़ा अंतर समझाया है, वह चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने साफ कहा कि जब तक यह अंतर है, भाजपा को हराना नामुमकिन है।
ओझा ने RSS को भारतीय जनता पार्टी का सलाहकार परिवार बताया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस के विद्वानों को पद या पैसे का कोई लालच नहीं होता, इसलिए वे किसी नेता की जी हुजूरी नहीं करते। ओझा के मुताबिक, दूसरी पार्टियों में अगर कोई चिंतक है भी तो वह चाटुकार बन जाता है क्योंकि उनके बॉस को भी यही पसंद आता है। अगर वे ऐसा नहीं करते तो बॉस उन्हें भगा देते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास ऐसे विद्वान हैं जो सच बोलते हैं और यही कारण है कि भाजपा को कोई शिकस्त नहीं दे पा रहा है।
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भाजपा की सफलता की असली वजह बताते हुए ओझा ने कहा कि किसी भी दल के पास दो संगठन होने चाहिए। एक राजनीति करे और दूसरा समाज सेवा। उन्होंने एक्स पर लिखा था कि भाजपा और आरएसएस इसका सटीक उदाहरण हैं। दोनों एक-दूसरे के काम में दखल नहीं देते। भाजपा पांच साल राजनीति करती है और संघ समाज से जुड़ा रहता है, यही उसकी असली ताकत है। ओझा का मानना है कि भारत के बाकी राजनीतिक दल अपंग हैं क्योंकि वे सिर्फ एक पैर यानी केवल राजनीतिक विंग के सहारे चल रहे हैं, जो उनकी कमजोरी है।






