
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Special Intensive Revision: बिहार के बाद देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट अपडेट होगी। चुनाव आयोग ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इन राज्यों में वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR 28 अक्टूबर से शुरू होगा और 7 फरवरी को खत्म होगा। भारतीय लोकतंत्र में आम जनता ही तंत्र की असली ताकत बनी रहे, इसके लिए चुनाव आयोग की ओर से शुरू की गई वोटर लिस्ट की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर ऐसा तूफान खड़ा हुआ कि मामला सड़कों तक पहुंच गया और सियासत गरमा गई।
बिहार से शुरू हुई कवायद अब देश के अन्य 12 राज्यों में भी कराने का ऐलान हो चुका है। देश के ऐसे राज्यों में जहां आने वाले साल में चुनाव है वहां एसआईआर का घोर विरोध हो रहा है। सबसे ज्यादा विरोध पश्चिम बंगाल, तमिनलाडु और केरल में हो रहा है। इन तीनों ही राज्यों में इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों की सरकार है।
तमिलनाडु में सीएम स्टालिन ने तो एसआईआर को साजिशों का जाल बता दिया है। दूसरी तरफ चुनाव आयोग के एसआईआर के साथ ही पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी बड़े चुनावी अभियान की शुरुआत करने जा रही है। टीएमसी ने ऐलान किया है कि आने वाले 2 नवंबर को कोलकाता में एसआईआर के विरोध में विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा। खुद अभिषेक बनर्जी चुनाव आयोग के इस अभियान के विरोध का झंडा उठाएंगे।
उधर एसआईआर शुरू होने से पहले ही ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल में 10 जिलों के डीएम समेत 64 आईएएस बदल डाले। ममता बनर्जी चुनाव आयोग की ओर से की जा रही एसआईआर प्रक्रिया को एनआरसी का दूसरा रूप बताती हैं। तो बंगाल बीजेपी कहती है कि ठीक से एसआईआर हो गया तो बंगाल में एक करोड़ से अधिक अवैध वोटर्स का नाम कट जाएगा। बंगाल से लेकर तमिलनाडु जैसे राज्यों में एसआईआर का विरोध हो रहा है, लेकिन महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां जनवरी में स्थानीय निकायों के चुनाव होने वाले हैं लेकिन यहां एसआईआर नहीं हो रहा है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि पार्टी को इस प्रक्रिया पर तीन प्रमुख आपत्तियां हैं। पहली, जब मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, तो चुनाव आयोग देशभर में इतनी जल्दबाजी में SIR लागू करने को लेकर उत्साहित क्यों है। दूसरी, आयोग ने बिहार में अवैध प्रवासियों से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की, जबकि भाजपा ने इस मुद्दे का राजनीतिक इस्तेमाल किया।
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कांग्रेस नेता का तीसरा सवाल यह था कि असम में ऐसी कोई SIR प्रक्रिया क्यों नहीं चलाई जा रही। प्रमोद तिवारी ने इसे केंद्र सरकार की नाकामी बताते हुए कहा कि यह मोदी और शाह की नीतियों पर करारा तमाचा है, क्योंकि अब तक कोई अवैध प्रवासी पकड़ा नहीं गया, जबकि इसी मुद्दे को उन्होंने बार-बार चुनावी मंचों से उठाया था।






