
वंदे मातरम् मुसलमानों को भड़का सकता है, PM मोदी ने याद दिलाई नेहरू की बात, सियासी बवाल तय!
PM Modi Speech in Lok Sabha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर ऐतिहासिक चर्चा की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जोरदार प्रहार किए और जवाहरलाल नेहरू पर मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेकने के आरोप लगाए।
पीएम मोदी ने कहा “1937 में जिन्ना ने इसका विरोध किया। जवाहर लाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा, बजाय कि नेहरू जी मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को तगड़ा जवाब देते, उल्टा उन्होंने वंदे मातरम की ही पड़ताल शुरू कर दी। जिन्ना के विरोध के पांच दिनों बाद ही 20 अक्टूबर को नेहरू जी नेता जी को चिट्ठी लिखी। चिट्ठी में नेहरू जी जिन्ना की भावना से सहमति दिखाते नजर आए।”
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर कहा, ‘जो वंदे मातरम् 1905 में महात्मा गांधी को राष्ट्रगान के रूप में दिखता था… वंदे मातरम् इतना महान था, इसकी भावना इतनी महान थी तो फिर पिछली सदी में इसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हुआ? वंदे मातरम् के साथ विश्वासघात क्यों हुआ? वह कौनसी ताकत थी जिसकी इच्छा पूज्य बापू की भावना पर भारी पड़ गई जिसने वंदे मातरम् जैसी पवित्र भावना को विवादों में घसीट दिया।’
पीएम मोदी ने इसके साथ ही जवाहरलाल नेहरू पर प्रहार करते हुए कहा, ‘मुस्लिम लीग के बयानों का जवाब देने के बजाय नेहरू जी ने सुभाष बाबू को पत्र लिखा और कहा कि मैंने वंदे मातरम् की पृष्ठभूमि पढ़ी है और मुझे लगता है कि यह मुसलमानों को भड़का सकता है।’
यह भी पढ़ें- IndiGo संकट पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, CJI बोले- सरकार ने पहले ही इसे गंभीरता से लिया
लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा, ‘वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है। जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष हुए, तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था। जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, और जब वंदे मातरम् का अत्यंत उत्तम पर्व होना चाहिए था, तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था। जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था। जिस वंदे मातरम् के गीत ने देश को आजादी की ऊर्जा दी थी, उसके 100 वर्ष पूरे होने पर हमारे इतिहास का एक काला कालखंड दुर्भाग्य से उजागर हो गया।’






