जेपी नड्डा, फोटो: सोशल मीडिया
JP Nadda on Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर पर इस समय चर्चा जोरों पर है। सभी दल इस मुद्दे पर अपनी भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ जहां विपक्ष ने इसपर बहस जारी रखी है तो वहीं दूसरी ओर सत्तापक्ष ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल किए थे। अब जेपी नड्डा ने इसपर कई बिंदुओं में जवाब दिया है। साथ ही यूपीए सरकार के आतंकवाद से निपटने के पुराने रिकॉर्ड पर भी तीखा हमला बोला।
जेपी नड्डा ने कहा, “खरगे जी ने पूछा था कि पहलगाम हमले के बाद किन देशों ने भारत का समर्थन किया। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि 61 देशों के राष्ट्राध्यक्षों और उपराष्ट्रपतियों ने इस हमले की निंदा की है। इसके अलावा 35 विदेश मंत्रियों, 38 सांसदों और पूर्व राष्ट्राध्यक्षों, 43 राजनयिक मिशनों ने भी हमले की तीखी निंदा की है।”
उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, क्वॉड, ब्रिक्स, सेंट्रल एशियन देश, इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और पराग्वे जैसे देशों और संगठनों ने भी भारत के साथ एकजुटता दिखाई। नड्डा ने कहा, “खरगे जी ने पूछा कि हमलावर कहां हैं? मैं बताना चाहता हूं कि ऑपरेशन महादेव के तहत उन्हें जमींदोज कर दिया गया है। ये प्रधानमंत्री मोदी और सभी राजनीतिक दलों की साझा ताकत है कि भारत ने वैश्विक मंच पर मजबूती से अपनी बात रखी।”
जेपी नड्डा ने बहस के दौरान यूपीए सरकार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “2005 दिल्ली सीरियल ब्लास्ट, 2006 वाराणसी बम धमाके और 2006 मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोटों के बावजूद तत्कालीन सरकार ने कोई ठोस जवाबी कार्रवाई नहीं की। उस समय आतंकवाद के बीच भी भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार और पर्यटन जारी रहा।”
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केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा, “2008 में जयपुर धमाकों के बावजूद यूपीए सरकार पाकिस्तान से विश्वास-निर्माण की बातें कर रही थी। हमें गोलियों से भूनने वाले आतंकियों को जवाब देने की बजाय उन्हें बिरयानी परोसी गई। यहां तक कि नियंत्रण रेखा पार करने के लिए ट्रिपल एंट्री परमिट तक मंजूर कर दिए गए थे।” जेपी नड्डा ने कहा, “उस वक्त भी पुलिस वही थी, सेना वही थी, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। 2009 के एससीओ समिट में, 2008 के आतंकी हमले का कोई जिक्र तक नहीं हुआ। ये फर्क है तब और अब के भारत में।”