बैठक में सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद रहे (फोटो सोर्स- @HQ_IDS_India)
नई दिल्ली: भारतीय सेना की तीनों शाखाओं थल, वायु और नौसेना ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के पीछे रहे असाधारण तालमेल पर दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में विचार विमर्श किया। इस बंद कमरे की बैठक में देश की सैन्य तैयारी, बहु-डोमेन रणनीतियों और पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे गलत प्रचार पर गंभीर चर्चा की गई। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ समेत सेना के शीर्ष अधिकारी और रक्षा विशेषज्ञों की मौजूदगी में यह रणनीतिक मंथन करीब 30 मिनट चला, जो भारत की सुरक्षा दृष्टिकोण को मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है।
बैठक में रक्षा खुफिया एजेंसी द्वारा पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा और उसके क्षेत्रीय असर पर चेताया गया। वहीं, एक दिन पहले विदेशी रक्षा अधिकारियों को भी ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की जानकारी दी गई, जिसमें भारत की सैन्य ताकत और सटीक रणनीति को वैश्विक मंच पर सराहा गया। इससे साफ है कि भारत अब किसी भी हमले का जवाब सिर्फ रणनीति से ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समर्थन के साथ भी देने की दिशा में काम कर रहा है।
OPERATION SINDOOR
General Anil Chauhan, Chief of Defence Staff #CDS, alongwith General Upendra Dwivedi #COAS, Admiral Dinesh K Tripathi #CNS and Air Chief Mshl AP Singh #CAS provide a direct perspective from the Apex Leadership of #IndianArmedForces into the successful conduct… pic.twitter.com/jtKQln5n3M
— HQ IDS (@HQ_IDS_India) May 14, 2025
तीनों सेनाओं की संगठित कार्रवाई पर फोकस
बैठक में पूर्व सैनिकों और थिंक टैंक के प्रतिनिधियों के साथ सेना के अधिकारियों ने चर्चा की कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सेनाओं ने एकजुट होकर अभियान को सफल बनाया। यह बहु-डोमेन ऑपरेशन भारत के सैन्य दृष्टिकोण को आधुनिकता और तेज प्रतिक्रिया की दिशा में ले जाता है। वरिष्ठ अधिकारी इस बात पर सहमत दिखे कि भविष्य में भी ऐसे ही संयुक्त अभियानों की आवश्यकता है।
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पाकिस्तान के प्रचार का जवाब सटीक रणनीति से देंगे
रक्षा खुफिया प्रमुख ने बैठक में पाकिस्तान द्वारा ऑपरेशन सिंदूर को लेकर फैलाई जा रही झूठी सूचनाओं पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि इस दुष्प्रचार से क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं, ऑपरेशन के वैश्विक प्रभाव पर भी चर्चा हुई, जहां बताया गया कि यह अभियान भारत की जवाबी क्षमता और कूटनीतिक सोच का प्रमाण बन चुका है।