IIT खड़गपुर में सड़क पर उतरे सैकड़ों प्रोफेसर, जानें क्या है मामला
नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर के लगभग 100 प्रोफेसर निदेशक के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। प्रोफेसरों ने निदेशक पर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने, मनमाने तरीके से नियुक्तियां करने और परिसर में एक अस्पताल बनाने में विफल रहने जैसे कई आरोप लगाए हैं। विवाद के बीच कॉलेज प्रशासन ने 3 विभागाध्यक्ष को बदल दिया है तथा 80 से अधिक प्रोफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
इस विवाद की शुरुआत इस साल सितंबर में हुई थी। तब IIT खड़गपुर शिक्षक संघ (IITTA) ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को एक लेटर लिखा था। इसमें निदेशक वीके तिवारी पर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने तथा मनमाने ढंग से भर्ती करने सहित कई आरोप लगाए गए थे। इस पत्र के माध्यम से शिक्षा मंत्रालय से आग्रह किया था कि तिवारी की जगह ‘उच्च शैक्षणिक स्तर के साथ-साथ समावेशी शासन का अभ्यास करने का अनुभव’ रखने वाले किसी अन्य व्यक्ति को निदेशक नियुक्त करे।
पत्र के बाद प्रशासन ने IITTA के अध्यक्ष, महासचिव, उपाध्यक्ष तथा कोषाध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 दिनों के अंदर जवाब देने को कहा। ऐसा न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी गई। IITTA ने जवाब देने के लिए एक महीने का वक्त मांगा। इस बीच 86 संकाय सदस्यों ने प्रशासन को ज्ञापन देकर पदाधिकारियों को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को वापस लेने की मांग की। प्रशासन ने पदाधिकारियों का नोटिस वापस लेने की जगह 86 संकाय सदस्यों को भी नोटिस जारी कर दिया।
बता दें कि 4 दिसंबर को प्रशासन ने गणित, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बायोसाइंस तथा बायोटेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्षों को भी बदल दिया। आधिकारिक नोटिस में तीनों को पद से हटाने कीवजह भी नहीं बताई गई। ये तीनों उन 86 लोगों में शामिल थे, जिन्होंने नोटिस वापस लेने के लिए ज्ञापन दिया था।
देश की खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
4 और 5 दिसंबर को संकाय सदस्यों ने परिसर में मौन विरोध प्रदर्शन किया तथा मार्च भी निकाला। संकाय सदस्य अब आंदोलन को और तेज करने के लिए विरोध प्रदर्शन सड़क पर ले जाने और प्रशासन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का प्लान बना रहे हैं।