सोनिया गांधी और राहुल गांधी, (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट आज सुनवाई करेगी। इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वकील की दलील पूरी हो गई है। कोर्ट के समक्ष उनके वकील ने आरएस चीमा ने बताया कि कांग्रेस एसोसिएटेड जर्नल्स (AJL) को बेचने की कोशिश नहीं की थी, बल्कि वह इस कंपनी को बचाना चाहता थी, क्योंकि वह स्वतंत्रता आंदोलन की हिस्सा थी। वकील ने आगे कहा कि एसोसिएटेड जर्नल्स का जन्म ही राष्ट्रीय आंदोलन से हुआ है। वो राष्ट्रीय विरासत का हिस्सा है। एजीएल को कभी भी फायदा कमाने वाला संस्थान नहीं बनाया गया।
इस मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी की ओर से सुप्रिया श्रीनेत और पवन खेड़ा ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। जिसमें उन्होंने कहा कि यह अजीब केस है, क्योंकि इसमें न तो कोई आर्थिक लेनदेन हुआ और न ही कोई प्रॉपर्टी ट्रांसफर हुई। सुप्रिया ने कहा कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का ऐसा मामला है, जिसमें कोई पैसा ही नहीं बदला गया। न संपत्ति ट्रांसफर हुई, न कोई निजी लाभ। एसोसिएटेड जर्नल्स को फिर से खड़ा करने के लिए कांग्रेस ने पैसा दिया, क्योंकि यह संस्था देश की आजादी के आंदोलन से जुड़ी है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने 2 जुलाई को कोर्ट में कहा था कि सोनिया और राहुल गांधी 2000 करोड़ रुपये की एसोसिएटेड जर्नल्स को हड़पने की कोशिश की। ईडी की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल वी राजू ने कहा कि एजीएल नुकसान में थी, लेकिन 2,000 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी होने के बावजूद उसने AICC से 90 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और उसे वापस नहीं कर सकी। आमतौर पर इस स्थिति में प्रॉपर्टी बेची जाती हैं, लेकिन यहां कंपनी को हड़पने की साजिश रची गई। सोनिया और राहुल ने यह साजिश रची थी। इसके लिए यंग इंडियन कंपनी बनाई गई। जिसमें सोनिया और राहुल की 76 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
एजीएल ने कांग्रेस से 90 करोड़ रुपये का लोन लिया था और बाद में कहा कि वह लोन चुकाने की स्थिति में नहीं है। इसके बाद यंग इंडियन कंपनी ने एजीएल का टेकओवर कर लिया, जिस समय संस्था कि कुल संपत्ति 2 हजार करोड़ रुपये की थी। ईडी ने कहा कि यह केवल एक दिखावटी फंडिंग था, वास्तिवक रूप में एजीएल से कोई लेन-देन नहीं किया गया था।
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बता दें कि जून 2022 में नेशनल हेराल्ड केस को लेकर राहुल गांधी से 5 दिनों में 50 घंटे पूछताछ हुई थी। वहीं, 21 जुलाई 2022 को इस मामले में सोनिया गांधी से 3 दिन में 12 घंटे सवाल हुए थे। इस दौरान उनसे 100 से ज्यादा सवाल किए गए। ईडी ने राहुल गांधी से भी जून में पांच दिनों में 50 घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की थी।