सुप्रीम कोर्ट (सोर्स सोशल मीडिया)
Mumbai-Bangalore ISKCON Temple Dispute: मुंबई और बेंगलुरु के बीच इस्कॉन मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच के बीच मतभेद देखा गया। मामला इस्कॉन के बेंगलुरु और मुंबई के दो गुटों के बीच मंदिर नियंत्रण को लेकर है। जिसके लिए मुकदमा चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर एक साल तक के लिए फैसले को अपने पास सुरक्षित रख लिया था। परन्तु इस साल मई में जस्टिस AS ओका के रिटायरमेंट से पहले उन्होंने बेंगलुरु के पक्ष में फैसला सुना दिया था। इससे पहले जस्टिस ओका और जस्टिस एजी मसीह ने मई 2011 में कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया था जिसमें मुंबई के पास मंदिर नियंत्रण का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में उस फैसले को रद्द कर दिया था जिसमें मंदिर नियंत्रण बेंगलुरु के पक्ष में था।
इस तरह हाई कोर्ट के फैसले और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुंबई और बेंगलुरु दोनों गुट लगभग समान स्थिति में आ गये हैं। 16 मई के फैसले को लेकर दाखिल की गई समीक्षा याचिका पर जस्टिस जेके महेश्वरी और एजी मसीह की पीठ ने विभाजित फैसला दिया है। जस्टिस जेके महेश्वरी ने इस पर पाया कि याचिका मुंबई ब्रांच ने फैसले की समीक्षा के लिए दिया है। उन्होंने अपने आदेशों में कहा कि, समीक्षा याचिकाओं को अदालत में सूचीबद्ध करने को मंजूरी दी जाती है। इसे लेकर पक्षों को नोटिस दिया जाये।
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जस्टिस जेके माहेश्वरी के अनुसार, मंदिर की मुंबई शाखा को खुली अदालत में अपना पक्ष रखने को लेकर मंजूरी दी जानी चाहिए। जो कि फैसले में चूक की तरफ इशारा भी है। वहीं दूसरी तरफ जस्टिस मसीह ने कहा कि, समीक्षा याचिकाओं और उसकी सामग्री पर ठीक प्रकार से जांच हुई है तो मै इससे संतुष्ट हूं कि कोई गलती नही हुई है और यह फैसला सही है। उनके अनुसार समीक्षा याचिकाओं में कोई मेरिट नही है कि जो फिर से विचार की कोई गारंटी दे सके। इसलिए उन्होंने समीक्षा याचिकाओं को ख़ारिज करने की बात कही। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि मतभेदों के चलते समीक्षा याचिकाओं को CJI के सामने रखा जाए और आवश्यक जांच की जाए।