प्रधानमंत्री मोदी कैबिनेट बैठक (फोटो- सोशल मीडिया)
PM Modi Cabinet Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें सरकार ने कुल 52,667 करोड़ रुपये की लागत वाले पांच अहम फैसलों को मंजूरी दी। इन फैसलों में एलपीजी, शिक्षा और पूर्वोत्तर भारत के विकास से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं।
सरकार ने तेल कंपनियों को 30,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने का ऐलान किया है। सरकार के इस फैसले का मकसद अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ के बाद मची उथल-पुथल को स्थिर करना है। इस ही इससे एलपीजी गैस की कीमतों में स्थिरता लाने में मदद मिलेगी। यह जानकारी केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 7 अगस्त को भारत पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाने के साथ-साथ 25 फीसदी का जुर्माना लगाया था। ट्रंप ने अपने फैसले के पीछे तर्क दिया था कि भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहा है। ट्रंप के फैसले के चलते भारत की पांच बड़ी कंपनियों ने रूस से तेल खरीदना स्थाई तौर बंद कर दिया था। सरकार ने तेल कंपनियों के लिए 30,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देकर बाजार में चल रही हलचल को कुछ कम करने की कोशिश की है।
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पूर्वोत्तर भारत पर विशेष ध्यान देते हुए असम और त्रिपुरा के लिए 4,250 करोड़ रुपये के विशेष विकास पैकेज को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा दक्षिण भारत में सड़क संपर्क को बेहतर बनाने के लिए मरक्कनम–पुडुचेरी फोर-लेन हाईवे के निर्माण हेतु 2,157 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है।
कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना को आगे बढ़ाने के लिए 12,060 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी। यह योजना मई 2016 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य देश के गरीब परिवारों की वयस्क महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करना है। 1 जुलाई तक, भारत में लगभग 10.33 करोड़ पीएमयूवाई कनेक्शन वितरित किए जा चुके हैं।
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साल 2024-25 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी की कीमतें ऊंची रहीं, लेकिन सरकार ने उपभोक्ताओं पर दबाव न डालने के लिए घरेलू एलपीजी की कीमतें स्थिर रखीं। इससे IOCL, BPCL और HPCL को भारी वित्तीय नुकसान हुआ, बावजूद इसके उन्होंने देश में एलपीजी आपूर्ति जारी रखी। भारत अपनी एलपीजी की लगभग 60 प्रतिशत जरूरत आयात करता है, जबकि घरेलू सिलेंडर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा नियंत्रित कीमतों पर उपलब्ध कराए जाते हैं।