चंडीगढ़ के भविष्य को लेकर छिड़ी बहस पर केंद्र ने लगाया विराम
Parliament Winter Session: पिछले कुछ दिनों से चंडीगढ़ की वैधानिक स्थिति को लेकर मीडिया और सियासी गलियारों में तरह-तरह की खबरें चल रही थीं। यह दावा किया जा रहा था कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ के प्रशासन में बड़े बदलाव करने जा रही है जिससे पंजाब के अधिकार कम हो सकते हैं। लेकिन अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन तमाम अटकलों पर पूर्ण विराम लगा दिया है। सरकार ने साफ कर दिया है कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में ऐसा कोई भी विधेयक नहीं लाया जा रहा है जो शहर की मौजूदा स्थिति को बदले।
दरअसल यह पूरा मामला तब गरमाया जब रिपोर्ट्स में कहा गया कि सरकार केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया बदल सकती है। इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए मंत्रालय ने बताया कि अभी केवल कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल करने का एक प्रस्ताव विचाराधीन है और इस पर भी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। गृह मंत्रालय ने रविवार को सोशल मीडिया के जरिए यह भरोसा दिलाया कि चंडीगढ़ के साथ पंजाब या हरियाणा के जो भी पुराने और परंपरागत संबंध हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
केंद्र की सफाई आने से पहले इन मीडिया रिपोर्ट्स पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बहुत तीखी प्रतिक्रिया दी थी। खबरों में यह कहा जा रहा था कि दिल्ली की तर्ज पर चंडीगढ़ में भी उपराज्यपाल का पद बनाया जा सकता है। इस पर सीएम मान ने इसे पंजाब के साथ बड़ा अन्याय बताया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भाजपा सरकार पंजाब की राजधानी को छीनने की साजिश रच रही है। मान ने जोर देकर कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का अभिन्न अंग था और हमेशा रहेगा, जिस पर राज्य का पूरा अधिकार है।
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इन अफवाहों से बढे सियासी तापमान को कम करते हुए केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि लोगों को इस विषय पर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि चंडीगढ़ के हितों और सभी पक्षों से बातचीत के बाद ही भविष्य में कोई निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल संसद के शीतकालीन सत्र में वैधानिक स्थिति बदलने वाला कोई बिल पेश करने की सरकार की मंशा नहीं है। यह स्पष्टीकरण उन सभी के लिए राहत की खबर है जो चंडीगढ़ के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव की खबरों से आशंकित थे।