महबूबा मुफ्ती (सोर्स: सोशल मीडिया)
श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इजराइल-ईरान युद्ध को लेकर पक्ष रखा है। मुफ्ती ईरान का समर्थन करते हुए अमेरिका और इजरायल की तीखी आलोचना की। उन्होंने युद्ध विराम को एक स्वागत योग्य कदम और पूरी दुनिया के लिए अच्छी खबर बताया।
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मैं ईरान के लोगों, सेना और सरकार को उस बहादुरी के लिए सलाम करना चाहूंगी, जो उन्होंने युद्ध के दौरान दिखाई और हथियार, सेना और परमाणु बम की कमी के बावजूद इसे लड़ा। उन्होंने उल्लेख किया कि ईरान का सबसे बड़ा हथियार “उनका विश्वास और अपने देश के लिए बलिदान करने की उनकी इच्छा है।
महबूबा ने कहा कि ईरान दृढ़ता से लढ़ा और अमेरिका और इजरायल जैसे महान देश को अपने घुटनों पर लाने में कामयाब रहा। उन्होंने कहा कि भले ही अमेरिका को इसकी उम्मीद नहीं थी, लेकिन इस युद्ध ने ईरान को इस्लामी देशों के बीच नेतृत्व की स्थिति दी है।
इजराइल-ईरान युद्ध में अमेरिका की भूमिका की आलोचना करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ऐसा कोई इस्लामिक देश नहीं बचा है जिसे अमेरिका ने नष्ट न किया हो। उन्होंने इराक, ईरान, लीबिया, सीरिया और अफगानिस्तान को निशाना बनाया और फिर ‘लोकतंत्र’ या ‘शासन परिवर्तन’ जैसे शब्दों के तहत विनाश को छुपाया। अमेरिका को इस युद्ध से सबक लेना चाहिए, क्योंकि उनके हस्तक्षेप से प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।
महबूबा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी निशाना साधा और कहा कि अमेरिका का राष्ट्रपति एक बड़ा पद होता है, लेकिन जब से ट्रंप सत्ता में आए हैं, उन्होंने उस पद को कमतर करके आंका है।”
पीडीपी नेता ने दावा किया कि उन्हें नहीं पता कि वे क्या कह रहे हैं या क्या करने जा रहे हैं, और यह पूरी दुनिया के लिए रेड अलर्ट है। मुफ्ती ने इजराइल को खलनायक देश भी करार दिया और फिलिस्तीन में उसके कार्यों के प्रति दुनिया की अंधी आंखों की निंदा की।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अमेरिका हर संघर्ष में भूमिका निभाता है, “चाहे प्रत्यक्ष रूप से हो या अप्रत्यक्ष रूप से, जैसा कि भारत और पाकिस्तान के बीच भी था।” युद्ध विराम के बारे में उन्होंने कहा कि ईरान ने शर्त रखी थी कि इजरायल ईरान की शर्तों पर हमले रोके और अमेरिका को ईरान को बातचीत के लिए लाने के लिए कतर को शामिल करना होगा।
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ईरान का समर्थन के लिए महबूबा ने रूस और चीन की भी प्रशंसा की। हालांकि अन्य इस्लामी राष्ट्रों ने ऐसा नहीं किया। महबूबा ने यह भी कहा कि भारत के ईरान के साथ लंबे समय से संबंध रहे हैं, लेकिन जरूरत के समय उन्होंने पूरी तरह से अलग नीति अपनाई। फिर भी, यह युद्ध विराम बहुत अच्छी खबर है और इसका पूरी तरह से स्वागत है।