मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने संबंधी संवैधानिक प्रस्ताव
President Rule in Manipur: लोकसभा ने बुधवार को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने संबंधी एक संवैधानिक संकल्प को मंजूरी दे दी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन से संबंधित एक संवैधानिक प्रस्ताव पेश किया, जिसके तहत संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत 13 फरवरी, 2025 को राज्य में लगाए गए राष्ट्रपति शासन को 13 अगस्त से छह महीने और बढ़ाने का प्रस्ताव है।
सरकार द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि यह सदन मणिपुर के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति द्वारा 13 फरवरी, 2025 को जारी की गई घोषणा को 13 अगस्त, 2025 से आगे छह महीने की अवधि के लिए जारी रखने का अनुमोदन करता है।
सदन में हुई इस चर्चा का जवाब देते हुए नित्यानंद ने कहा कि आरक्षण से संबंधित उच्च न्यायालय के एक फैसले को लेकर हिंसा फैली थी और यह हिंसा जातीय थी। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच कोई संघर्ष नहीं था और न ही अब हो रहा है। मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद हिंसा की केवल एक घटना हुई जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई। पिछले चार महीनों में एक भी मौत नहीं हुई है। शांति का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है।
राय ने जोर देकर कहा कि शांति बहाली के लिए राष्ट्रपति शासन जरूरी है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। 2 अप्रैल को लोकसभा ने राष्ट्रपति शासन लागू करने संबंधी संवैधानिक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 356(4) के तहत इस प्रस्ताव का महत्व छह महीने का है। उन्होंने कहा कि इसे अगले छह महीने तक बढ़ाने के लिए संसद के दोनों सदनों में एक संवैधानिक प्रस्ताव पारित करना जरूरी है। चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के एंटनी एंटनी ने कहा कि मणिपुर में न केवल कानून-व्यवस्था बल्कि शासन व्यवस्था भी पूरी तरह चरमरा हुई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मणिपुर के लोगों की जरूरत के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप रहे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह विफल रही है। समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के भाषणों में झलकता अहंकार ही मणिपुर में चुनाव न होने का कारण है। दो सांसदों वाले छोटे से राज्य में चुनाव नहीं हो रहे हैं।
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उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार जानबूझकर ऐसी स्थिति पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार वहां की भावनाओं को समझते हुए शांति का माहौल बनाने की कोशिश करे। पीठासीन सभापति कुमारी शैलजा ने भाजपा सांसद को अपने स्थान पर बैठने और तृणमूल सांसद को अपना भाषण पूरा करने देने को कहा। दोनों पक्षों के बीच तकरार और शोरगुल के कारण उन्होंने सदन की कार्यवाही लगभग आधे घंटे के लिए शाम 5.30 बजे तक के लिए स्थगित हुई थी। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर गृह राज्य मंत्री राय के जवाब के बाद संवैधानिक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।