19 साल बाद इंसाफ की ओर बढ़ा कदम, 4 आरोपियों पर मकोका के तहत आरोप तय (कॉन्सेप्ट फोटो)
NIA Court on Malegaon Blast Case: साल 2006 के मालेगांव सीरियल ब्लास्ट मामले में करीब 19 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत ने मंगलवार को चार आरोपियों के खिलाफ सख्त कानून मकोका के तहत आरोप तय कर दिए हैं। 8 सितंबर 2006 को नासिक जिले के मालेगांव में एक कब्रिस्तान के बाहर हुए इन धमाकों ने पूरे देश को दहला दिया था, जिसमें कम से कम 37 लोगों की जान चली गई थी और 125 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) मामलों की विशेष अदालत के न्यायाधीश चकोर बाविस्कर ने आरोपी लोकेश शर्मा, धन सिंह, मनोहर सिंह और राजेंद्र चौधरी के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत आरोप तय किए हैं। विशेष लोक अभियोजक प्रकाश शेट्टी द्वारा आरोपों का मसौदा पेश किए जाने के बाद अदालत ने यह अहम फैसला सुनाया। अब आरोप तय होने के बाद इस मामले में मुकदमे की सुनवाई विधिवत रूप से शुरू हो सकेगी, जिससे पीड़ितों के परिवारों को न्याय की उम्मीद जगी है।
एनआईए की चार्जशीट के अनुसार, इन धमाकों की साजिश मध्य प्रदेश में रची गई थी। जांच एजेंसी ने दावा किया है कि आरोपियों को वहीं पर हथियार चलाने और बम बनाने की ट्रेनिंग दी गई थी। इस साजिश में शामिल हर व्यक्ति की भूमिका पहले से तय थी। इन लोगों ने विस्फोटक लगाने के लिए साइकिलें खरीदने से लेकर, उनमें बम फिट करने और फिर उन्हें धमाके वाली जगहों पर पहुंचाने तक का काम अलग-अलग टीमों में बांटा हुआ था। एनआईए के मुताबिक, यह एक संगठित अपराध था, जिसे बड़ी ही योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था।
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इस मामले की जांच में उस वक्त एक बड़ा मोड़ आया था, जब 2007 में मक्का मस्जिद बम धमाके के आरोपी स्वामी असीमानंद ने कथित तौर पर एक बयान दिया था। बयान के मुताबिक, आरएसएस के एक पदाधिकारी सुनील जोशी ने उसे बताया था कि मालेगांव में हुए धमाके “उनके लड़कों” का काम है। इस मामले को लेकर वलसाड में एक बैठक भी हुई थी। साल 2011 में जब एनआईए ने इस केस को अपने हाथ में लिया, तब इन चार आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। चार्जशीट में सुनील जोशी, रामचंद्र कलसांगरा और संदीप डांगे का भी नाम था। हालांकि, दिसंबर 2007 में सुनील जोशी की हत्या हो गई थी।