जन्मदिन विशेष: मुख्यमंत्री पद ठुकराया, सम्मान लौटाया...महात्मा गांधी ने दी थी सजा, आजादी के लिए जेल भी गया था ये कवि
नवभारत डेस्क: देश के महान कवि, लेखक और पत्रकार माखन लाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई नामक स्थान पर हुआ था। माखन लाल अपनी रचनाओं के माध्यम से देशभक्तों में जान फूंक देते थे। उनकी कई कविताएं देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। देश की आजादी के लिए वे कई बार जेल भी गए। आइए जानते हैं इस महान कवि से जुड़े कुछ रोचक किस्सों के बारे में।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। वे देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ने के खिलाफ थे। वहीं माखन लाल चतुर्वेदी अखबार में क्रांतिकारियों के विचार प्रकाशित करने के साथ ही उनकी व्यक्तिगत रूप से मदद भी करते थे। एक बार माखन लाल ने एक क्रांतिकारी को जबलपुर में शरण दी थी। जब उन्हें पता चला कि पुलिस कभी भी क्रांतिकारी को गिरफ्तार कर सकती है तो माखन लाल किसी तरह उस क्रांतिकारी को नागपुर ले गए और वहां छोड़ दिया। इसके बाद माखन लाल को लगा कि यह गलत है तो उन्होंने यह घटना बापू को बताई। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को बताया कि किस तरह उन्होंने एक क्रांतिकारी की मदद की थी। उस समय बापू ने प्रायश्चित के तौर पर उनसे एक दिन का निर्जला व्रत रखने को कहा था। व्रत के बाद बापू ने खुद माखन लाल को भोजन परोसा था।
कवयित्री महादेवी वर्मा माखन लाल चतुर्वेदी से जुड़ा एक किस्सा सुनाया करती थीं। जब हमारा देश आजाद हुआ तो माखन लाल चतुर्वेदी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए। जब उन्हें इस बात की जानकारी दी गई तो उन्होंने कहा, अगर मैं शिक्षक और साहित्यकार होते हुए मुख्यमंत्री बन गया तो यह मेरा पदावनत होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री का पद ठुकरा दिया था। इसके बाद रविशंकर शुक्ल को मुख्यमंत्री बनाया गया। महान साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी का 30 जनवरी, 1968 को निधन हो गया।
माखन लाल ने प्रभा, कर्मवीर और प्रताप का संपादन किया। वर्ष 1918 में उन्होंने प्रसिद्ध नाटक ‘कृष्ण अर्जुन युद्ध’ लिखा था। वर्ष 1949 में उन्हें ‘हिमतरंगिनी’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने हिमकिरीटिनी, हिम तरंगिनी, युग चरण, समर्पण, मरण ज्वार, माता, वेणु लो गूंजे धरा, ‘बिजुरी काजल आंज रही’ जैसी प्रमुख कृतियों सहित कई अन्य रचनाएँ लिखीं। कविता संग्रह हिमकिरीटिनी के लिए माखन लाल चतुर्वेदी को वर्ष 1943 में देव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पुष्प की अभिलाषा… और अमर राष्ट्र… जैसी कृतियों के लिए सागर विश्वविद्यालय ने उन्हें डी. लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया था।
भारत सरकार ने वर्ष 1963 में माखन लाल चतुर्वेदी को पद्म भूषण से सम्मानित किया था। लेकिन 10 सितंबर 1967 को माखन लाल ने राजभाषा संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में यह पुरस्कार लौटा दिया था, जिसमें राजभाषा हिंदी पर हमला किया गया था। वर्ष 1990 में भोपाल में माखन लाल चतुर्वेदी के नाम पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।