सुप्रीम कोर्ट के नव नियुक्त जज बागची (सोर्स - सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: जस्टिस जॉयमाल्या बागची एक प्रतिष्ठित भारतीय न्यायविद हैं, जिन्हें हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नामित किया गया है। 3 अक्टूबर 1966 को कोलकाता में जन्मे बागची ने कलकत्ता बॉयज़ स्कूल से शिक्षा प्राप्त की और 1991 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। अपने करियर की शुरुआत पश्चिम बंगाल बार एसोसिएशन से करने के बाद, उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में प्रभावी पैरवी की, जिनमें तस्लीमा नसरीन की विवादित पुस्तक पर प्रतिबंध हटाने का मामला भी शामिल था। 2011 में वे कलकत्ता हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने और कुछ समय आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में सेवाएं देने के बाद 2021 में वापस कलकत्ता हाईकोर्ट लौटे। उनकी सख्त न्यायिक दृष्टि और निर्भीक फैसलों ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया, जहां वे 2031 में भारत के मुख्य न्यायाधीश बनेंगे।
जस्टिस जॉयमाल्या बागची का सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल छह वर्षों से अधिक का होगा। 25 मई 2031 को जब जस्टिस केवी विश्वनाथन सेवानिवृत्त होंगे, तब वे मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण करेंगे। 2 अक्टूबर 2031 को उनके सेवानिवृत्त होने तक वे इस पद पर रहेंगे। कलकत्ता हाईकोर्ट से मुख्य न्यायाधीश बनने वाले वे पहले न्यायाधीश नहीं हैं, लेकिन 2013 में जस्टिस अल्तमस कबीर के बाद वे इस पद को संभालने वाले पहले व्यक्ति होंगे।
जस्टिस बागची का न्यायिक करियर उनके साहसिक फैसलों के लिए जाना जाता है। उन्होंने हाल ही में आरजी कर अस्पताल के वित्तीय कुप्रबंधन के मामले में सुनवाई की और उच्च पदों पर व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर कड़ी टिप्पणी की। इसके अलावा, शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के दौरान उन्होंने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए थे। उनका न्यायिक दृष्टिकोण प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर केंद्रित रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस बागची की सिफारिश करते समय इस बात को भी ध्यान में रखा कि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में कलकत्ता हाईकोर्ट से केवल एक न्यायाधीश प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जस्टिस बागची अखिल भारतीय न्यायिक वरिष्ठता सूची में 11वें स्थान पर हैं, जिससे उनकी नियुक्ति स्वाभाविक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। उनकी पदोन्नति से सुप्रीम कोर्ट में एक संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ है।