किरेन रिजिजू, फोटो: सोशल मीडिया
नई दिल्ली: हाल ही में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने दिए कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों को जो आजादी, सुरक्षा और सम्मान प्राप्त है, उसका श्रेय देश की बहुसंख्यक आबादी की सहिष्णुता और उदार सोच को जाता है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी एक अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं और अगर वे पाकिस्तान या बांग्लादेश जैसे देशों में होते, तो शायद उन्हें शरणार्थी के रूप में जीवन व्यतीत करना पड़ता।
रिजिजू ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष और संवैधानिक व्यवस्था वाला देश है। यहां सभी नागरिकों को बराबर अधिकार प्राप्त हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यहां की हिंदू बहुसंख्यक आबादी का सहिष्णु और समावेशी स्वभाव देश को विविधता में एकता का उदाहरण है।
रिजिजू ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वे जानबूझकर यह झूठा नैरेटिव बना रहे हैं कि भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ झूठा प्रचार है बल्कि देश की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला भी है। रिजिजू ने पूर्व मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के इस बयान का समर्थन किया कि भारत अल्पसंख्यकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है, क्योंकि यहां कानून और संविधान का पालन होता है और सभी को समान अवसर मिलते हैं।
किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार की योजनाएं सभी के लिए समान रूप से लागू होती हैं। कुछ योजनाएं खास तौर से अल्पसंख्यक समुदायों को सहायता करने के उद्देश्य से चलाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि सरकार छह मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक समुदायों के लिए खास योजनाएं चला रही है जिस कारण से उन्हें शिक्षा, रोजगार और सामाजिक विकास के क्षेत्रों में सहायता मिल रही है।
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रिजिजू के इस बयान पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने कहा है कि भारतीय मुसलमान किसी राजा की प्रजा नहीं हैं बल्कि संविधान से मिले अधिकारों के तहत जीते हैं। ओवैसी ने आगे कहा कि भारत की तुलना पाकिस्तान या श्रीलंका जैसे असफल राष्ट्रों से नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे और संविधान को सर्वोपरि मानते हैं।