के कविता, रेवंत रेड्डी, राहुल गांधी (फोटो-सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः तेलंगाना में कांग्रेस के वाजीर-ए- आला ने पहले जातिगत जनगणना कराई, अब ओबीसी का आरक्षण 41 प्रतिशत बढ़ाकर ऐसा दांव खेल दिया है कि बीआरएस के सत्ता का सपना अधर में दिख रहा है। अब इसी मुद्दे के लेकर पूर्व मुख्यमंत्री चंद्र शेखर राव( KCR) के बेटी कविता रेड्डी सरकार को घेरने का प्रयास कर रही हैं। कविता ने मंगलवार को कांग्रेस पर अन्य पिछड़ा वर्ग के समुदायों के साथ “अन्याय” करने का आरोप लगाया।
बीआरएस नेता ने अतीत का उदाहरण देते हुए कांग्रेस के ओबीसी विरोधी होने का दावा किया। कविता ने तेलंगाना विधान परिषद में कहा कि “प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा रिपोर्ट (कालेकर रिपोर्ट) को खारिज किए जाने के बाद, इस देश में 30 साल तक पिछड़े वर्गों पर चर्चा होती रही। यह कांग्रेस सरकार ही थी, जिसने कालेकर समिति को दरकिनार कर दिया।
गैर कांग्रेसी सरकार ने दिया ओबीसी आरक्षण: कविता
कविता ने कहा कि दूसरा आयोग जनता पार्टी मोरारजी देसाई के समय स्थापित किया गया था। यह बीपी मंडल आयोग था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी। दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू किए बिना 10 साल तक अपने पास रखा। उन्होंने बताया कि केंद्र में एक गैर-कांग्रेसी सरकार ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू किया। उन्होंने कहा ति बाद में 1990 में वीपी सिंह की सरकार ने इसे लागू किया। 1990 में जब वीपी सिंह ने इसे लागू किया, तब राजीव गांधी ने संसद में पिछड़ों के खिलाफ लंबा भाषण दिया था। यह संसद के रिकॉर्ड में है।
शैक्षणिक संस्थानों में कांग्रेस ने लागू करवाया OBC आरक्षण
कविता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने बीपी मंडल आयोग के खिलाफ बोला था और कहा था कि अगर पिछड़ों को आरक्षण दिया गया तो देश बिखर जाएगा। 1993 में बीपी मंडल आयोग की देशव्यापी मांग उठी थी और तब नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। हालांकि 2006 तक शैक्षणिक संस्थानों में कोई आरक्षण नहीं था। एम्स, आईआईटी, एनआईटी और अन्य में 2008 तक आरक्षण नहीं दिया गया था। बाद में 2011 में सोनिया गांधी यूपीए अध्यक्ष थीं, कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी और राहुल गांधी संसद में थे। उस समय उन्होंने जाति जनगणना के लिए 4,500 करोड़ रुपये जारी किए थे।
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‘यूपीए सरकार ने जारी नहीं किए ओबीसी के आंकड़े’
कविता ने यह भी बताया कि हालांकि यूपीए सरकार ने जाति जनगणना कराई थी, लेकिन डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने जाति जनगणना की, लेकिन अब तक जाति जनगणना के आंकड़े जारी नहीं किए। 4,500 करोड़ रुपये बर्बाद हो गए और जाति जनगणना के आंकड़े जारी नहीं किए गए। न तो राहुल गांधी और न ही सोनिया गांधी ने इस बारे में कुछ कहा। यह सब पूरी तरह से ठंडे बस्ते में चला गया।