नरखेड़. दुनिया में सबसे महंगे मसाले के रूप में गिने जाने वाले केसर के उत्पादन की शुरुआत अब विदर्भ में हो गई है. दुनिया में लगभग 300 मीट्रिक टन केसर का उत्पादन होता है. इसमें से देश के जम्मू-कश्मीर में 7 प्रतिशत अर्थात 20 से 21 मीट्रिक टन उत्पादन होता है. थोक बाजार में दाम प्रति टन 4 लाख रुपये होकर खुदरा बाजार में इसकी कीमत प्रति टन 6 लाख रुपये के आसपास होती है. 300 रुपये प्रति ग्राम के हिसाब से इसे बेचा जाता है. इसे पूरी दुनिया में ‘लाल सोने’ के रूप में पहचान मिली है.
विदर्भ का सफेद सोना अर्थात कपास है और केसरी सोना अर्थात संतरा है. संतरा उत्पादक क्षेत्र के रूप में नरखेड़ तहसील को ख्याति प्राप्त है लेकिन अब विदर्भ में नागपुर जिले के नरखेड़ तहसील में केसर का उत्पादन शुरू होने से अब लाल सोने का उत्पादन क्षेत्र के रूप में विदर्भ को नई पहचान मिलेगी. विदर्भ में केसर का उत्पादन आश्चर्य की बात लगती है.
कोरोना काल में एक ओर पूरा देश लॉकडाउन के चलते घरों में कैद था. ऐसे में नरखेड़ नगर परिषद के पूर्व नगराध्यक्ष अभिजीत गुप्ता एवं उनकी पत्नी रंजना गुप्ता ने कोरोना काल में आधुनिक खेती के माध्यम से कुछ नया प्रयोग करने का मन बनाया और आधुनिक तरीके से केसर की खेती करने की ठानी. इसके लिए उन्होंने जम्मू-कश्मीर राज्य के पाम्पोर ग्राम जाकर केसर उत्पादक किसान एवं केसर संशोधन केंद्र जम्मू-कश्मीर सरकार की संशोधक टीम से मुलाकात कर केसर उगाई को लेकर आवश्यक मार्गदर्शन लेकर संशोधन किया. इसके बाद नरखेड़ में घर पर ही केसर की रोपाई की.
अभिजीत गुप्ता ने कश्मीर से केसर के बीज खरीद कर उनकी अपने शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के तीसरे माले पर इसकी बुआई की. इस सफल रोपाई से लगभग ४ किलो केसर का उत्पादन अर्थात २४ लाख रुपयों की आर्थिक कमाई उन्हें प्राप्त होने की संभावना है. गुप्ता ने केसर की रोपाई के लिए कॉम्प्लेक्स के तीसरे माले की ५०० वर्ग फीट जगह का चयन किया तथा इसके लिए आधुनिक शीतगृह निर्माण कर केसर उत्पादन के लिए आवश्यक कश्मीरी वातावरण निर्मित कर एरोपोनिक तरीके से केसर की रोपाई की.
उनके द्वारा किया गया यह प्रयोग वर्तमान दौर में सफल साबित हो रहा है. यह प्रयोग पूरे राज्य में प्रेरणादायक साबित होगा. नई तकनीक हाइड्रोपोनिक, एक्वापोनिक तथा एरोपोनिक का इस्तेमाल का राज्य सहित विदर्भ के किसानों को नयी दिशा दी. अब किसान बदलते मौसम की मार की परवाह न करते हुए इस प्रयोग का इस्तेमाल कर अपने आर्थिक आमदनी में इजाफा कर पाएंगे. एरोपोनिक ऐसी खेती करने की तकनीक है जिसमें पौधों को हवा में उगाया जाता है. इसे एरोपोनिक फॉर्मिंग कहते हैं. यह नयी तरीके की खेती है जिसमे पौधे और उनकी जड़ें भी हवा में होती हैं. इसमें जमीन या खेत की जरूरत नही होती.
गुप्ता ने कहा कि विदर्भ के किसान इस आधुनिक पद्धति का इस्तेमाल कर बदलते हुए वातावरण पर भी मात करते हुए केसर की रोपाई कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसे उन्होंने प्रत्यक्ष कर दिखाया तथा उनके द्वारा उत्पादित केसर का रोप राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मिलकर भेंट किया. इसे देखकर महामहिम राष्ट्रपति ने उनके इस अनोखे प्रयोग की सराहना करते हुए शुभकामनाएं भी दीं. राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में अभिजीत गुप्ता के मार्गदर्शन में केसर की रोपाई करने की इच्छा व्यक्त की. वहीं केंद्रीय मंत्री गडकरी और मुख्यमंत्री शिंदे ने भी उनके इस नावीन्यपूर्ण प्रयोग की सराहना की तथा उन्होंने अभिजीत गुप्ता द्वारा किया गया यह अनोखा प्रयोग राज्य सहित विदर्भ के किसानों के लिए प्रेरणा बनने की बात कही.