जम्मू कश्मीर में प्रदर्शन (सोर्स- सोशल मीडिया)
Jammu and Kashmir News: आरक्षण नीति के खिलाफ प्रस्तावित छात्र विरोध मार्च से पहले पुलिस कार्रवाई के बाद जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती, पार्टी विधायक वहीद-उर-रहमान पारा, और नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा रुहुल्लाह मेहदी को श्रीनगर में पोलो व्यू से राजभवन तक होने वाले नियोजित छात्र मार्च में शामिल होने से रोकने के लिए घर में नजरबंद कर दिया गया है।
खबरों के मुताबिक, श्रीनगर के पूर्व मेयर जुनैद मट्टू भी घर में नजरबंद हैं। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि महबूबा मुफ्ती, उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती, श्रीनगर लोकसभा सदस्य रुहुल्लाह मेहदी, PDP नेता वहीद पारा और श्रीनगर के पूर्व मेयर जुनैद मट्टू को उनके घरों में ही सीमित कर दिया गया है।
छात्रों ने रविवार को श्रीनगर में सरकार की ‘आरक्षण नीति को तर्कसंगत बनाने में विफलता’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी। ओपन मेरिट छात्रों का तर्क है कि मौजूदा नीति में 60 प्रतिशत से ज़्यादा सीटें आरक्षित श्रेणियों के लिए आरक्षित हैं, जिससे ओपन मेरिट उम्मीदवारों के लिए 40 प्रतिशत से भी कम सीटें बचती हैं। दूसरी तरफ पुलिस ने छात्रों को पोलो व्यू इलाके में इकट्ठा होने से रोक दिया।
जिसके बाद आगा रुहुल्लाह ने आरोप लगाया कि कई छात्रों और छात्र नेताओं को हिरासत में लिया गया है। उनके कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर उनके आवास के बाहर तैनात पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तस्वीरें साझा कीं और सवाल किया कि क्या यह एक शांतिपूर्ण, छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए ‘पहले से नियोजित कार्रवाई’ थी।
श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र के सांसद आगा रुहुल्लाह मेहदी ने कहा कि अगर सरकार छात्रों से बात नहीं करती है, तो वह सड़कों पर उनके साथ शामिल होंगे। उन्होंने दो दिन पहले कहा था कि वह इस मुद्दे को भूले नहीं हैं और छात्रों का साथ नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा था, “अगर सरकार शनिवार तक छात्रों से बात नहीं करती है, तो मैं रविवार को उनके साथ चलूंगा और विरोध प्रदर्शन में बैठूंगा।”
PDP विधायक वहीद पारा को भी घर में नज़रबंद कर दिया गया है। वह इन ओपन मेरिट छात्रों के अधिकारों के बारे में मुखर रहे हैं। दूसरी ओर, PDP ने इसे एक शांतिपूर्ण छात्र आंदोलन को ‘हथियार बनाने’ का प्रयास बताया है। पारा ने आरक्षण नीति को युवा पीढ़ी के लिए एक ‘अस्तित्व का मुद्दा’ बताया, और कहा कि सरकार ने इसे हल करने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई है।
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उन्होंने तर्क दिया कि कम से कम पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण पर कैबिनेट उप-समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए। यह ध्यान देने वाली बात है कि ओपन मेरिट स्टूडेंट्स के दबाव के कारण, जम्मू और कश्मीर सरकार ने इस मुद्दे पर एक कैबिनेट सब-कमेटी बनाई थी। उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि कैबिनेट ने सब-कमेटी की सिफारिशों को मंज़ूरी दे दी है और फाइल लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा को भेज दी गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सब-कमेटी ने ओपन मेरिट और रिज़र्व्ड कैटेगरी के बीच सीटों का 50-50 प्रतिशत बंटवारा करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव के तहत, RBA (पिछड़े इलाकों के निवासी) और EWS (आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग) के कोटे को कम करके ओपन मेरिट कैटेगरी में कुछ सीटें जोड़ी जाएंगी। वहीं, छात्रों का कहना है कि रिपोर्ट सार्वजनिक होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।