जस्टिस वर्मा, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
Justice Verma News in hindi: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि 31 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने का प्रस्ताव सामने आया है। इस मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के साथ एक कानूनी विशेषज्ञ शामिल हैं।
समिति के सदस्यों के रूप में बी.वी. आचार्य, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव को नियुक्त किया गया है। यह समिति जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की समीक्षा करेगी। बता दें कि इससे पहले 7 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को बड़ा झटका लगा जब उनकी याचिका को सुनवाई के योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया गया।
लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों के नामों की घोषणा से पहले बताया कि जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश के पद से हटाने का प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत आया है। जस्टिस वर्मा पर कदाचार के आरोप लगे हैं, जिसके कारण उन्हें हटाने की सिफारिश की गई है। बिरला ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय में भी जस्टिस वर्मा के खिलाफ शिकायत गंभीर पाई गई है, इसलिए इस न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए कार्रवाई आवश्यक है। उन्होंने कहा कि संसद को भ्रष्टाचार के इस मुद्दे पर एकजुट होकर कदम उठाना चाहिए।
पिछले महीने लोकसभा के कई सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को ज्ञापन देकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग की थी। इस ज्ञापन में कांग्रेस, BJP, TDP, JDU और अन्य पार्टियों के सांसद शामिल थे। इसके अलावा, जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की थी।
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जस्टिस यशवंत वर्मा का कैश कांड एक बड़ा मामला है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब 14 मार्च को उनके नई दिल्ली स्थित घर के बाहर जले हुए नोट पाए गए, जिसने न्यायिक समुदाय में खलबली मचा दी। इसके बाद जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया और आरोपों की जांच के लिए एक आंतरिक समिति भी बनाई गई।