कल्याण बनर्जी, जगदंबिका पाल (फोटो- नवभारत डिजाइन)
नई दिल्लीः संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने विपक्षी दलों की कड़ी आपत्तियों के बावजूद वक्फ संशोधन विधेयक में 14 संशोधनों को मंजूरी दे दी है। वहीं विपक्ष द्वारा सुझाए गए संशोधन खारिज कर दिए गए हैं। जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि संशोधनों को बहुमत के आधार पर स्वीकार किया गया, जिसमें 16 सदस्यों ने बदलावों का समर्थन किया और 10 ने उनका विरोध किया।
जेपीसी अध्यक्ष ने बताया कि 44 संशोधनों पर खंड दर खंड चर्चा की गई। 6 महीने से अधिक समय तक विस्तृत चर्चा के बाद, हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे। यह हमारी अंतिम बैठक थी। इसलिए, बहुमत के आधार पर समिति द्वारा 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया गया है। विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे। हमने उनमें से हर एक संशोधन को आगे बढ़ाया और उस पर मतदान हुआ, लेकिन 10 वोट उनके (सुझाए गए संशोधनों) के समर्थन में थे और 16 वोट इसके विरोध में थे।
मुसलमानों के अधिकारों और संघीय ढांचे को कमजोर करने का आरोप
वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य 1995 के वक्फ अधिनियम में बदलाव करना है, जो भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को नियंत्रित करता है। यह विधेयक विवादों का विषय रहा है, विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह मुसलमानों के अधिकारों और भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करता है। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर जेपीसी की बैठक के बाद इसके सदस्यों में से एक- भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने सरकार के 43 प्रस्तावों के संबंध में संशोधन प्रस्तावित किए।
सत्ता ने 24 और विपक्ष ने 43 प्रस्ताव पेश किए
मूल अधिनियम 1995 में 44 संशोधन हैं जो सरकार द्वारा प्रस्तावित किए गए थे और हम सभी के सामने विचार-विमर्श के लिए रखे गए थे। पूरे मामले पर विचार-विमर्श के लिए 34 बैठकें हो चुकी हैं। इस काम के लिए 108 घंटे समर्पित किए गए हैं। 284 से अधिक हितधारकों से परामर्श किया गया है और उनके विचारों को उचित महत्व दिया गया है। आज की बैठक पर अपराजिता ने कहा कि 44 संशोधनों के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने सरकार के 43 प्रस्तावों के संबंध में संशोधन पेश किए थे। जहां तक एनडीए सांसदों का सवाल है, उन्होंने 24 प्रस्ताव पेश किए हैं। विपक्ष या सत्ता पक्ष द्वारा पेश किए गए हर प्रस्ताव पर बहस हुई और हाथ उठाकर वोटिंग की गई।
महत्वपूर्ण खंडों पर भी विपक्ष ने जाताय विरोध
भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा कि बैठक में खंड-दर-खंड चर्चा हुई। उन्होंने कहा, “सभी खंडों पर चर्चा हुई और जिन्होंने विरोध किया, उन्होंने भी ऐसा ही किया, जबकि जिन्होंने समर्थन किया, उन्होंने भी अपनी राय व्यक्त की। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस विधेयक को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण खंडों पर भी विरोध जताया गया।” हालांकि, विपक्षी पार्टी के सदस्यों ने जेपीसी के फैसले की आलोचना की और आरोप लगाया कि उन्हें बैठक के दौरान बोलने की अनुमति नहीं दी गई।
जगदंबिका पाल लोकतंत्र के सबसे बड़े ब्लैकलिस्टर
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि जगदंबिका पाल ने लोकतंत्र को नष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा, “आज उन्होंने वही किया जो उन्होंने तय किया था। उन्होंने हमें बोलने नहीं दिया। किसी भी नियम या प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। शुरू में हमने दस्तावेज, अभिवेदन और टिप्पणियां मांगी थीं। वे सभी चीजें हमें नहीं दी गईं। उन्होंने खंड-दर-खंड चर्चा शुरू कर दी। हमने कहा, पहले चर्चा करते हैं। जगदंबिका पाल ने चर्चा की ही नहीं। फिर उन्होंने संशोधन प्रस्ताव लाया। हम सभी को संशोधन प्रस्ताव पर बोलने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने प्रस्ताव पेश किया, गिना और घोषणा की। सभी संशोधन पारित हो गए। हमारे संशोधन खारिज कर दिए गए और उनके संशोधन को अनुमति दे दी गई। यह एक हास्यास्पद कार्यवाही थी। यह लोकतंत्र का काला दिन है। जगदंबिका पाल लोकतंत्र के सबसे बड़े ब्लैकलिस्टर हैं।