लोकसभा में बोलते हुए ललन सिंह व जीएम हरीश बालयोगी (सोर्स-सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के जरिए विपक्ष का सरकार पर प्रेशर बनाने का सपना लगभग चूर-चूर हो गया है। कहा जा रहा था विपक्षी गठबंधन इस बिल के विरोध के जरिए एनडीए के दो मजबूत घटक दलों को बयानबाजी के जरिए कानून के खिलाफ लामबंद करेगा। लेकिन गुरुवार को सदन में इसके विपरीत माहौल देखने को मिला। जिसे विपक्ष के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए के दो प्रमुख घटक दलों जनता दल यूनाइटेड और तेलुगु देशम पार्टी यानी टीडीपी ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे वक्फ से जुड़ी संस्थाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। हालांकि, टीडीपी ने कहा कि इस विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए इसे संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
जदयू के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने लोकसभा में कहा कि कई (विपक्षी) सदस्यों की बातों से लग रहा है कि यह विधेयक मुसलमान विरोधी हैं। यह कैसे मुसलमान विरोधी है? उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने मंदिरों की बात की है, लेकिन मंदिर और संस्था में अंतर है। ललन सिंह ने कहा कि मस्जिदों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है।
जदयू सांसद ने कहा कि वक्फ संस्था को पारदर्शी बनाने के लिए यह संशोधन लाया जा रहा है। उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सवाल किया, हजारों सिखों को किसने मारा? सिंह ने कहा कि विधेयक आना चाहिए और वक्फ संस्थाओं में पारदर्शिता लानी चाहिए।ॉ
टीडीपी सांसद जीएम हरीश बालयोगी ने कहा कि अगर विधेयक संसदीय समिति को भेजा जाता है तो उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि वक्फ दानदाताओं के उद्देश्य की रक्षा की जानी चाहिए। जब उद्देश्य और शक्ति का दुरुपयोग होता है तो सुधार लाना और प्रणाली में पारदर्शिता लाना सरकार की जिम्मेदारी है। बालयोगी ने कहा कि वह सरकार के इस प्रयास का समर्थन करते हैं।
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बालयोगी ने आगे कहा कि हमारा मानना है कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण से देश के गरीब मुसलमानों और महिलाओं को मदद मिलेगी और पारदर्शिता आएगी। उन्होंने कहा कि अगर विधेयक को आगे परामर्श के लिए संसद की समिति के पास भेजा जाता है तो उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अगर गलतफहमी दूर करने, गलत सूचना को रोकने और विधेयक के उद्देश्य से अवगत कराने के लिए व्यापक परामर्श की आवश्यकता है, तो हमें इसे प्रवर समिति को भेजने में कोई समस्या नहीं है।
जबकि माना ये जा रहा था कि एनडी गठबंधन में शामिल जेडीयू और टीडीपी इस कानून के विरोध में उतर सकते हैं। क्योंकि इससे पहले यूपी में नेम प्लेट विवाद के दौरान जेडीयू, टीडीपी, एलजेपी और आरएलडी ने विरोध किया था। इसी के चलते विपभ को उम्मीद थी की वक्फ बोर्ड एक्ट विधेयक मामले में भी यह पार्टियां विरोध करेंगी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका है।
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