CRPF से बर्खास्तगी पर HC की बड़ी कार्रवाई
नई दिल्ली: सीआरपीएफ से बर्खास्त किए गए मुनीर अहमद का मामला अब हाईकोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया है और इसके साथ ही यह केस सुरक्षाकर्मी के वैवाहिक अधिकारों और सुरक्षा नियमों के बीच टकराव का प्रतीक बन गया है। एक पाकिस्तानी मूल की महिला से विवाह के कारण सेवा से हटाए गए मुनीर अहमद ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसे गंभीरता से लेते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय और सीआरपीएफ से जवाब मांगा है। अब 30 जून की अगली सुनवाई से पहले इस मामले में सरकार का पक्ष तय करेगा कि यह केस क्या मोड़ लेता है।
पूर्व जवान का दावा है कि उसने विवाह से जुड़ी सभी जानकारी अपने अधिकारियों को पहले ही दे दी थी, लेकिन फिर भी उसे अचानक सेवा से हटा दिया गया। इसके समर्थन में उसने अधिकारियों से हुई पत्राचार की प्रतियां और कई सीनियर नेताओं की सिफारिशें भी अदालत में प्रस्तुत की हैं। अहमद का कहना है कि यह निर्णय न सिर्फ एकतरफा था, बल्कि उसके वैधानिक अधिकारों का हनन भी है, जिसे वह अब न्यायिक स्तर पर चुनौती दे रहा है।
शादी के बाद बदला पूरा जीवन
पूर्व कांस्टेबल मुनीर अहमद ने बताया कि उसने 2022 में अपनी चचेरी बहन मीनल खान से विवाह का प्रस्ताव दिया था, जो पाकिस्तान की नागरिक हैं लेकिन जिनका पारिवारिक संबंध जम्मू के भलवाल से है। अहमद का कहना है कि उसने अपनी मंशा बार-बार अधिकारियों को बताई और नियमों के तहत आवेदन भी दिया, जो 2023 में आपत्तियों के साथ लौटा दिया गया। इसके बाद भी विभाग के साथ उनका पत्राचार जारी रहा और 2025 में उन्हें भोपाल ट्रांसफर कर दिया गया, जहां उनकी पत्नी के पाकिस्तानी मूल का उल्लेख पोस्टिंग डायरी में दर्ज किया गया। इसी के कुछ समय बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
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राजनीतिक सिफारिशों और कानूनी रास्ते से उठाया सवाल
अपनी याचिका के समर्थन में अहमद ने देश के कुछ प्रमुख नेताओं के पत्र भी प्रस्तुत किए हैं, जिसमें वीजा और मान्यता से जुड़ी अनुशंसा की गई थी। यह मामला अब सिर्फ एक जवान की नौकरी का नहीं, बल्कि उस संवेदनशीलता का मुद्दा बन गया है जिसमें वैवाहिक संबंध और राष्ट्रीय सुरक्षा के नियम आपस में टकराते हैं। अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए गृह मंत्रालय और सीआरपीएफ से स्पष्ट जवाब मांगा है, जो 30 जून को अगली सुनवाई में पेश करना होगा।