भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर (सोर्स- सोशल मीडिया)
Economic Suicide Immigration: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका और यूरोप को एक सीधी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि वर्कफोर्स मोबिलिटी पर कठोर प्रतिबंध लगाने से इन देशों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। नई दिल्ली में ‘इंडिया वर्ल्ड एनुअल कॉन्क्लेव 2025’ में बोलते हुए, जयशंकर ने वैश्विक प्रतिभा के प्रवाह (Talent Mobility) को रोकने को ‘आर्थिक आत्महत्या’ (Economic Suicide) के समान बताया।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में अमेरिका और यूरोप को अप्रवासी नीतियों पर सख्त रुख अपनाने के लिए खुली चेतावनी दी है। उन्होंने साफ कहा कि कुशल अप्रवासियों की आवाजाही (वर्कफोर्स मोबिलिटी) पर कठोर प्रतिबंध लगाना इन देशों के लिए ‘इकोनॉमिक सुसाइड’ साबित होगा।
Breaking: S Jaishankar takes down anti-H1B arguments “The economic crisis in foreign countries has nothing to do with foreign workers. Europe and America allowed their businesses to leave over the last two decades. It was their choice and their strategy.” pic.twitter.com/bsQ3hJhz6J — Shashank Mattoo (@MattooShashank) December 3, 2025
जयशंकर ने कहा कि वैश्विक प्रतिभा के प्रवाह को रोकने से पश्चिमी देशों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा और वे ‘नेट लूजर’ कहलाएंगे। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थक H-1B वीजा प्रोग्राम के नियमों को सख्त करने की मांग कर रहे हैं, वहीं यूरोप में एंटी-इमिग्रेशन पॉलिटिक्स चल रही है। मंत्री ने जोर दिया कि एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी के इस दौर में ट्रेन्ड वर्कफोर्स की मांग बढ़ रही है। अगर पश्चिमी देश इन कुशल कामगारों को आने से रोकेंगे, तो उनकी इनोवेशन की गति धीमी पड़ जाएगी और इकोनॉमिक ग्रोथ रुक जाएगी।
विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों की इस धारणा को भी गलत बताया कि आर्थिक संकट के लिए प्रवासियों को जिम्मेदार ठहराया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि बेरोजगारी का मुख्य कारण उनकी अपनी नीतियां हैं।
#WATCH | Delhi: Addressing the question regarding the increased talent migration amid growing domestic demand in India, EAM Dr S Jaishankar says, “…We can’t tell people not to go out to work. There’s a freedom of movement. We’re a democratic society. They have the freedom to… pic.twitter.com/eJSXbmNtec — ANI (@ANI) December 3, 2025
उन्होंने कहा कि जब पश्चिमी देशों की कंपनियों ने सस्ते श्रम के लिए अपने उत्पादन और काम को विदेशों में शिफ्ट कर दिया, तब देश के लोगों को रोजगार नहीं मिला। इसके लिए दूसरे देश से आए लोग नहीं, बल्कि कंपनियों की शिफ्टिंग पॉलिसी जिम्मेदार है।
जयशंकर ने विशेष रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों को निशाना बनाते हुए कहा कि H-1B वीजा की फीस बढ़ाने या नियम सख्त करने से लोग बिजनेस और नौकरी के लिए सफर नहीं कर पाएंगे। अगर कुशल लोग नहीं आ पाएंगे, तो कंपनियों को अपना काम दूसरे देशों में शिफ्ट करना पड़ेगा।
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जयशंकर ने पश्चिमी देशों को सोच समझकर फैसला लेने की सलाह दी है, ताकि उन्हें अपने फैसलों का आर्थिक खामियाजा न उठाना पड़े। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अवैध प्रवास गैर-कानूनी है और सभी देशों को अपने अवैध नागरिकों को वापस बुलाना चाहिए।