
इंडिगो फ्लाइट (डिजाइन फोटो)
IndiGo Airlines Row: फिछले एक हफ्ते से इंडिगो एयरलाइन्स के नीले आसमान पर काले बादल छाए हुए हैं। महज एक ही दिन में 550 से ज्यादा फ्लाइटें रद्द हुई और नतीजा यह हुआ कि देशभर के सभी एयरपोर्ट्स एक व्यस्ततम रेलवे स्टेशन सरीखे नजर आने लगे। अनाउंसमेंट स्पीकर पर बार-बार ‘फ्लाइट कैंसिल्ड’ से यात्रियों में और इससे जुड़ी सूचनाओं से सोशल मीडिया पर आक्रोश का सैलाब है।
आर्थिक राजधानी मुंबई में 118, बेंगलुरु में 100, हैदराबाद में 75 और दूसरे बड़े शहरों में दर्जनों फ्लाइट्स रोक दी गईं। हालात इतने बिगड़ गए कि इंडिगो का कभी गर्व करने वाला ऑन-टाइम परफॉर्मेंस गिरकर 19.7% पर आ गया। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) और मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन ने तुरंत कंपनी के टॉप अधिकारियों को बुलाया।
वहीं कंपनी के सीईओ CEO पीटर एल्बर्स ने कर्मचारियों से साफ-साफ कहा कि हमने जो भरोसा बनाया है, उसे वापस पाना आसान नहीं होगा। लेकिन इंडिगो का इतिहास और उसकी आकीशीय उड़ान की कहानी कमोबेस बिहार के सीएम नीतीश कुमार के जैसी। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं। चलिए जानते हैं…
मौजूदा अफरा-तफरी के बीच यह याद रखना ज़रूरी है कि इंडिगो सिर्फ एक एयरलाइन नहीं है, यह भारतीय एविएशन की सबसे बड़ी सफलता की कहानियों में से एक है। 2005 में, राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने मिलकर एक ऐसे सपने को आकार दिया जिसमें कोई दिखावा नहीं था, कोई बिज़नेस क्लास की चमक-दमक नहीं थी। बस एक आसान सा आइडिया था। ऑन-टाइम फ्लाइट्स, कम लागत और अधिक भरोसे की पहचान थी।
दुनिया तब हैरान रह गई जब कंपनी ने अपनी पहली फ्लाइट से पहले ही 100 एयरबस A320 का ऑर्डर दे दिया। इसकी पहली फ़्लाइट 2006 में शुरू हुई और कुछ ही सालों में इंडिगो ने एयर इंडिया, जेट और किंगफिशर जैसी बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ते हुए भारतीय आसमान पर अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया।
2019 में 300 और 2023 में 500 प्लेन्स के लिए ऐतिहासिक ऑर्डर देकर, इंडिगो ने अपने लंबे समय के खेल को साबित कर दिया। इंडिगो की मुख्य ताकत उसके बिज़नेस मॉडल में थी। एक जैसा फ़्लीट, तेज़ टर्नअराउंड, सेल-एंड-लीजबैक से कैश फ्लो और टिकट बिक्री के बजाय बैग, सीट और खाने जैसे एक्स्ट्रा चार्ज से रेवेन्यू। जब किंगफिशर लग्जरी में डूब गया और जेट एयरवेज को खर्च मैनेज करने में मुश्किल हुई। तब इंडिगो ने भरोसे को अपनी पहचान के तौर पर स्थापित कर दिया।
इंडिगो फ्लाइट (सोर्स- सोशल मीडिया)
इसके बाद COVID के दौरान पूरा एविएशन सेक्टर ठप हो गया, तो इंडिगो ने सबसे तेज़ी से बदलाव किया। कुछ जहाजों को कार्गो प्लेन में बदल दिया। छोटे शहरों पर अपना फोकस बढ़ाया। जिसका नतीजा यह हुआ कि कंपनी 2022-23 में मुनाफे में लौट आई। इसके अलावा यह एक ही साल में 100 मिलियन यात्रियों को उड़ाने वाली भारत की पहली एयरलाइन बन गई।
इस बीच फाउंडर्स भाटिया और गंगवाल के बीच पार्टनरशिप में दरारें आ गईं। गंगवाल ने बेहतर गवर्नेंस की मांग की, जबकि भाटिया कंट्रोल चाहते थे। यह झगड़ा पब्लिक हो गया और गंगवाल ने 2025 तक अपना हिस्सा बेच दिया। इस टूट के बावजूद इंडिगो तेजी से आगे बढ़ती रही।
आज यह घरेलू मार्केट के लगभग 64% हिस्से को कंट्रोल करती है और A350 और बोइंग 777 जैसे वाइड-बॉडी प्लेन्स के साथ इंटरनेशनल लेवल पर बड़ी एंट्री करने के लिए तैयार है। लेकिन मौजूदा संकट ने हमें एक बार फिर याद दिलाया है कि आसमान में ऊंची उड़ान भरने वाला चीन का बख्तरबंद पक्षी भी गलतियों से बच नहीं सकता।
नए ड्यूटी टाइम रेगुलेशन, क्रू की कमी और सर्दियों में भीड़ इन तीनों वजहों ने मिलकर इंडिगो को पूरी तरह रोक दिया। सरकार ने ऑपरेशन्स को ठीक होने देने के लिए कुछ समय के लिए रेगुलेशन वापस ले लिए हैं। लेकिन इंडिगो के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं होने वाला है।
क्योंकि एयर इंडिया की ज़बरदस्त वापसी, बढ़ती लागत और ग्लोबल अनिश्चितताएं इंडिगो के दबदबे के लिए नई चुनौतियां खड़ी करती हैं। हालांकि यह कहानी और इंडिगो का इतिहास पढ़कर आपको यह जरूर लग रहा होगा कि इंडिगो हमेशा मुश्किलों का सामना करती है और ऊंची उड़ान भरकर वापस आती है।
बिहार के मुख्यमंत्री के बारे में भी दिवंगत वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब ‘अकेला आदमी: कहानी नीतीश कुमार की’ में लिखा है कि नीतीश कुमार को जब भी सबसे कमजोर समझा गया या वो कमजोर हुए उसके अगले ही मौके पर उन्होंने जोरदार वापसी की है। इसका ताजा उदाहरण हालिया विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला है।
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बिहार में हुए विधानसभा चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू के बारे में कहा जा रहा था कि इस बार पार्टी खत्म हो जाएगी। नीतीश कुमार का करिअर खत्म हो चुका है। लेकिन जब चुनाव नतीजे आए तो जेडीयू ने 85 सीटें जीतकर सबकी बोलती बंद कर दी और नीतीश कुमार एक बार फिर से बिहार के सीएम की कुर्सी पर विद्यमान हैं।






